केरल शास्त्र साहित्य परिषद ने ‘‘गौ विज्ञान'' पर राष्ट्रीय स्तर की स्वैच्छिक ऑनलाइन परीक्षा को रद्द करने की मांग करते हुए कहा कि यह अंधविश्वास फैलाने और देश में शिक्षा क्षेत्र का भगवाकरण करने की कोशिश है. परिषद ने हाल ही में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) द्वारा सभी कुलपतियों को जारी उस निर्देश को नजरअंदाज करने की नागरिक संस्थाओं से अपील की है, जिसके जरिए छात्रों को राष्ट्रीय कामधेनु आयोग (आरकेए) द्वारा आयोजित परीक्षा में बैठने के लिए प्रोत्साहित किया गया है. उल्लेखनीय है कि परिषद केरल में एक प्रगतिशील संगठन है और लोगों का विज्ञान आंदोलन है.
केंद्र सरकार ने पांच जनवरी को घोषणा की थी कि गाय की देशी नस्ल और इसके फायदे के बारे में छात्रों और आम आदमी के बीच रूचि पैदा करने की कोशिश के तहत 25 फरवरी को गौ विज्ञान परीक्षा का आयोजन किया जाएगा. परिषद ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा, ‘‘यह निंदनीय और स्तब्ध कर देने वाला है कि देश में विश्वविद्यालय शिक्षा की शीर्ष संस्था छात्रों को एक ऐसी परीक्षा में बैठने के लिए प्रेरित कर रही है, जो अवैज्ञानिक तथ्यों पर आधारित है.''
आयोग ने कहा था कि प्रारूप परीक्षा का पाठ्यक्रम आरकेए की वेबसाइट पर उपलब्ध करा दिया जाएगा. परिषद ने कहा कि वेबसाइट पर कई सारे बेकार के दावे किये गये हैं, जिनका कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है.
परिषद ने कहा, ‘‘वेबसाइट पर यह दावा किया गया है कि देशी नस्ल की गाय के दूध में सोना घुले होने के सुराग मिले हैं , जिस कारण उसका दूध हल्के पीले रंग का होता है. इसमें यह भी कहा गया है कि गाय का दूध मानव को परमाणु विकिरण से बचाता है. ''
परिषद ने बयान में कहा कि यह कदम देश में शिक्षा प्रणाली का भगवाकरण करने की प्रक्रिया का हिस्सा है. आरकेए, मत्स्य पालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्रालय के तहत आता है. केंद्र ने आरकेए का गठन फरवरी 2019 में किया था.
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं