
कमलादेवी चटोपाध्याय
Quick Reads
Summary is AI generated, newsroom reviewed.
गूगल ने आज डूडल बनाकर कमलोदवी को याद किया है
कमलादेवी महान स्वतंत्रता सेनानी और समजा सुधारक थीं
कमलादेवी ही वो शख्स हैं जिन्होंने फरीदाबाद शहर बसाया
रंगमंच में फूंकी जान, नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा है कमलादेवी की देन
1. कमलादेवी का जन्म 3 अप्रैल 1903 को मैंगलोर में हुआ था. वो बचपन से ही कुशाग्र बुद्धि थीं और उन्हें महादेव गोविंद रानाडे, गोपाल कृष्ण गोखले और एनी बेसेंट जैसे स्वतंत्रता सेनानियों क सान्ध्यि मिला. जब वो सात बरस की थीं तब उनके पिता का देहांत हो गया. 14 साल की छोटी सी उम्र में उनकी शादी करा दी गई, लेकिन दो साल बाद ही वो विधवा हो गईं.
2. चेन्नई के क्वीन मैरी कॉलेज में पढ़ने के दौरान कमलदेवी चटोपाध्याय की दोस्ती 'स्वर कोकिला' सरोजनी नायडू की छोटी बहन सुहासिनी चटोपाध्याय से हो गई. सुहासिनी ने अपने छोटे भाई हरिन से कमलादेवी को मिलवाया. हरिन कवि और नाटककार थे. उस वक्त का समाज विधवा विवाह के सख्त खिलाफ था इसके बावजूद तमाम मुश्किलों को झेलते हुए कमला देवी ने 20 साल की उम्र में हरिन के साथ शादी की. दोनों ने मिलकर कई नाटक और स्किट तैयार किए. बाद में कमला देवी ने कुछ फिल्मों में भी काम किया. हालांकि उस वक्त अच्छे घर की लड़कियों और महिलाओं का फिल्मों में काम करना अच्छा नहीं माना जाता था.
3. बाद में कमलादेवी पति हरिन के साथ लंदन शिफ्ट हो गईं जहां लंदन यूनिवर्सिटी से उन्होंने सोशियोलॉजी में डिप्लोमा हासिल किया. इसी दौरान 1923 में कमलादेवी को महात्मा गांधी के असहयोग आंदोलन के बारे में पता चला. फिर क्या था वो तुरंत भारत लौट आईं और आंदोलन का हिस्सा बन गईं.
4. इसके बाद कमलादेवी ने मद्रास विधानसभा का चुनाव भी लड़ा. हालांकि वो चुनाव हार गईं लेकिन विधान सभा का चुनाव लड़ने वाली वो पहली भारतीय महिला थीं.
5. इसके बाद कमलादेवी ने ऑल इंडिया वुमेन कांफ्रेस का गठन किया. इस दौरान उन्होंने कई यूरोपीय देशों की यात्रा की और सामाजिक सुधार के मद्देनजर कई कार्यक्रमों की शुरुआत भी की. इसी क्रम में उन्होंने होमसाइंस की पढ़ाई के लिए दिल्ली में लेडी इरविन कॉलेज की स्थापना की. यह उस वक्त भारत में अपने तरह का पहला कॉलेज था.
6. कमलादेवी 1930 में महात्मा गांधी के नमक सत्याग्रह का हिस्सा भी बनीं. आप कमलादेवी के साहस का अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि उन्होंने हाईकोर्ट में मौजूद जज के सामने अपने द्वारा तैयार किया हुआ नमक खरीदने की पेशकश की थी. इसी साल उन्हें बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज में नमक बेचने के आरोप गिरफ्तार कर लिया गया और उन्हें करीब एक साल तक जेल में रहना पड़ा.
7. आजादी के बाद भारत-पाकिस्तान के बंटवारे के वक्त कमालादेवी ने शरणार्थियों के बसाव के काम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. फरीदाबाद शहर का निर्माण उन्हीं के प्रयासों का नतीजा है. यहां पर उन्होंने करीब 50 हजार शरणार्थियों को बसाया.
8. कमलादेवी ने 1950 के दशक में असंगठित क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित की. यही नहीं उन्होंने कई सारे क्राफ्ट म्यूजियम खुलवाए. इसके अलावा नाट्य इंस्टीट्यूट ऑफ कथक (बंगलुरु), नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा (नई दिल्ली) और संगीत नाटक अकादमी खोलने का श्रेय भी उन्हीं को जाता है.
9. कमलादेवी की बायोग्राफी का नाम है Inner Recesses and Outer Spaces: Memoir. 29 अक्टूबर 1988 को 85 साल की उम्र में उनका निधन हो गया.
10. कमलादेवी को कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है, जिनमें पद्म भूषण (1955), पद्म विभूषण (1987), मैगसेस अवॉर्ड, संगीत नाटक अकादमी फेलोशिप और रत्न सदस्य शामिल हैं. हस्त शिल्प को बढ़ावा देने के लिए उन्हें 1977 में यूनेस्को ने सम्मानित किया.
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं