नई दिल्ली: शिक्षा पर खर्च बढ़ाने के दिल्ली सरकार के कदम के पॉजिटिव नतीजे सामने आए हैं. दिल्ली की 2017-18 की आर्थिक समीक्षा के अनुसार इससे न केवल राजधानी में स्कूलों की संख्या बढ़ी है, बल्कि दाखिला लेने वाले बच्चे भी बढ़े हैं, साथ ही छात्रों और शिक्षक अनुपात भी सुधरा है.
दिल्ली विधानसभा में पेश आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि बजट में शिक्षा पर खर्च दोगुना से अधिक हो गया है. वित्त वर्ष 2012-13 में यह 5,491 करोड़ रुपये था, जो 2017-18 में बढ़कर 11,300 करोड़ रुपये हो गया है.
समीक्षा कहती है, यह सरकार के लिए सर्वोच्च प्राथमिकता वाला क्षेत्र है. वित्त वर्ष 2017-18 के कुल बजट का 23.54 प्रतिशत शिक्षा क्षेत्र को आवंटित किया गया.
दिल्ली विधानसभा में पेश आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि बजट में शिक्षा पर खर्च दोगुना से अधिक हो गया है. वित्त वर्ष 2012-13 में यह 5,491 करोड़ रुपये था, जो 2017-18 में बढ़कर 11,300 करोड़ रुपये हो गया है.
समीक्षा कहती है, यह सरकार के लिए सर्वोच्च प्राथमिकता वाला क्षेत्र है. वित्त वर्ष 2017-18 के कुल बजट का 23.54 प्रतिशत शिक्षा क्षेत्र को आवंटित किया गया.
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इसमें कहा गया है कि दिल्ली में कुल स्कूलों की संख्या 2012-13 में 5,155 थी, जो 2016-17 में बढ़कर 5,772 हो गई. स्कूलों में दाखिला लेने वाले बच्चों की संख्या 2012-13 के 42.68 लाख से बढ़कर 2016-17 में 44.43 लाख हो गई. विद्यार्थी- शिक्षक अनुपात भी बढ़कर 30 हो गया. इसी तरह उच्च शिक्षा संस्थानों की संख्या 2012-13 के 209 से बढ़कर 2017-18 में 219 हो गई.
राष्ट्रीय राजधानी में तकनीकी संस्थानों की संख्या 2012-13 में 99 थी, जो 2016-17 में 104 हो गई.
तकनीकी संस्थानों में विद्यार्थियों की संख्या इस अवधि में 23,581 से 34,168 हो गई.
राष्ट्रीय राजधानी में तकनीकी संस्थानों की संख्या 2012-13 में 99 थी, जो 2016-17 में 104 हो गई.
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समीक्षा कहती है कि 2017-18 में राज्य सकल घरेलू उत्पाद का 1.65 प्रतिशत शिक्षा पर खर्च किया गया, जो सर्वाधिक है. इसमें कहा गया है कि सरकार ने प्रति विद्यार्थी शिक्षा पर 2016-17 में 54,910 रुपये खर्च किए, जिसके 2017-18 में बढ़कर 61,622 रुपये पर पहुंच जाने की उम्मीद है. वित्त वर्ष 2012-13 में यह आंकड़ा 29,641 रुपये था.
समीक्षा कहती है कि 2017-18 में राज्य सकल घरेलू उत्पाद का 1.65 प्रतिशत शिक्षा पर खर्च किया गया, जो सर्वाधिक है. इसमें कहा गया है कि सरकार ने प्रति विद्यार्थी शिक्षा पर 2016-17 में 54,910 रुपये खर्च किए, जिसके 2017-18 में बढ़कर 61,622 रुपये पर पहुंच जाने की उम्मीद है. वित्त वर्ष 2012-13 में यह आंकड़ा 29,641 रुपये था.
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