भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान खड़गपुर (IIT Kharagpur), प्रदूषित जल के उपचार के बाद उसे पुन: प्रयोग के योग्य बनाने के लिए प्रौद्योगिकियां विकसित करने संबंधी परियोजना आरम्भ करेगा जिसके लिए यूरोपीय संघ (ईयू) धन मुहैया कराएगा. संस्थान की ओर से बुधवार को जारी एक बयान में बताया गया कि आईआईटी खड़गपुर जल के उपचार एवं पुन: प्रयोग के लिए बहुसंस्थागत और कई करोड़ रुपए की ‘सरस्वती 2.0' परियोजना का मुख्य भारतीय साझेदार है. इसमें बताया गया है कि इस परियोजना के लिए यूरोपीय संघ और भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग और जैव प्रौद्योगिकी विभाग निधि मुहैया कराएंगे.
इस परियोजना का मकसद प्रदूषित जल उपचार के लिए उपलब्ध सर्वश्रेष्ठ एवं किफायती प्रौद्योगिकियों की पहचान करना है और ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में जल प्रयोग की चुनौतियों के लिए समाधान मुहैया कराना है. इस परियोजना के तहत आईआईटी खड़गपुर परिसर में तीन जल उपचार संयंत्र स्थापित किए जाएंगे ताकि प्रदूषित जल का उपचार किया जा सके और उसे सिंचाई में प्रयोग करने योग्य बनाया जा सके.
संस्थान के ‘आदित्य चौबे सेंटर फॉर री-वाटर रिसर्च' के प्रोफेसर मकरंद घांगरेकर ने बताया कि संयंत्र जनवरी 2020 से चालू हो जाएंगे. इसके अलावा अन्य साझीदार भारतीय संस्थानों-आईआईटी मद्रास, आईआईटी भुवनेश्वर, आईआईटी रुड़की, एनआईटीआईई मुंबई, एमएनआईटी जयपुर और टेरी स्कूल ऑफ एडवांस्ड स्टडीज में भी सात ऐसे संयंत्र स्थापित किए जाएंगे.
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