दिल्ली उच्च न्यायालय ने चार महीने से बकाया वेतन का भुगतान करने का निर्देश देने की मांग करने वाली शिक्षकों की याचिका पर मंगलवार को दिल्ली विश्वविद्यालय (DU) के चार कॉलेजों से जवाब मांगा है. ये सभी कॉलेज विश्वविद्यालय से संबद्ध हैं और आप सरकार उनका पूर्ण वित्त पोषण करती है. न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति सुब्रमणियम प्रसाद की पीठ ने डॉक्टर भीम राव अम्बेडकर महाविद्यालय, भगिनि निवेदिता महाविद्यालय, अदिति महाविद्यालय और शहीद सुखदेव कॉलेज ऑफ बिजनेस स्टडीज से शिक्षकों की याचिका पर जवाब देने को कहा है.
अदालत ने दिल्ली सरकार और दिल्ली विश्वविद्यालय (DU) से भी अपना जवाब दाखिल करने को कहा है. मामले की अगली सुनवाई के लिए चार नवंबर की तारीख तय की गयी है. शुरुआत में शिक्षकों का वेतन नहीं देने को लेकर 12 कॉलेजों के खिलाफ याचिका दायर की गयी थी, लेकिन अदालत उनमें से आठ कॉलेजों के मामले पर विचार नहीं कर रही है, क्योंकि दो कॉलेजों ने अपने कर्मचारियों को अगस्त तक का वेतन दे दिया है और अन्य छह कॉलेजों से कोई भी कर्मचारी अपनी शिकायत लेकर अदालत नहीं पहुंचा है.
शिक्षकों की ओर से पेश हुए वकील अशोक अग्रवाल ने दलील दी कि दिल्ली सरकार बिना किसी गलती के 2,000 परिवारों को सजा दे रही है और उसे तुरंत कॉलेजों को धन देना चाहिए, ताकि वे अपने कर्मचारियों को वेतन दे सकें. याचिका में कहा गया है कि शिक्षकों के अलावा अन्य कर्मचारियों को भी मई, जून, जुलाई और अगस्त का वेतन नहीं मिला है.
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