हरियाणा में सरकारी मेडिकल कॉलेजों से एमबीबीएस करने वाले छात्रों के लिए अब दो साल सरकारी अस्पतालों में अपनी सेवाएं देना अनिवार्य होगा. हरियाणा चिकित्सा शिक्षा और अनुसंधान विभाग की बैठक की अध्यक्षता करते हुए स्वाथ्य मंत्री अनिल विज ने कहा कि यह राज्य में डॉक्टरों की कमी को कम करने में मदद करेगा. यह प्रावधान इसी साल से एमबीबीएस के लिए होने वाले दाखिलों के प्रोस्पेक्टस में जोड़ा जा रहा है.
छात्रों को 2 साल तक काम करने का बॉन्ड भरना होगा वरना उन्हें डिग्री नहीं मिलेगी. इस फैसले से सरकार को हर साल करीब 800 रेजिडेंट्स अथवा जूनियर डॉक्टर मिल जाएंगे. हरियाणा सरकार ने यह फैसला सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी को दूर करने के लिए लिया है.
फिलहाल प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों को इस फैसले से अलग रखा है, लेकिन भविष्य में इस दायरे में लाया जा सकता है. सरकार एक्ट बनाने पर विचार भी कर रही है. प्रदेश में अभी 4 सरकारी मेडिकल कॉलेज हैं. अनिल विज ने बताया कि सरकारी मेडिकल कॉलेजों के लिए यह नियम इसलिए बनाया गया है क्योंकि प्राइवेट की तुलना में सरकारी मेडिकल कॉलेजों की फीस बहुत कम है. डॉक्टर बनाने में सरकार को भी काफी पैसा खर्च करना पड़ता है. चूंकि यह पैसा राज्य की जनता का है इसलिए मेडिकल स्टूडेंट्स की भी कुछ जिम्मेदारी बनती है कि वह राज्य की जनता की सेवा करें.
(इनपुट एजेंसी से)
छात्रों को 2 साल तक काम करने का बॉन्ड भरना होगा वरना उन्हें डिग्री नहीं मिलेगी. इस फैसले से सरकार को हर साल करीब 800 रेजिडेंट्स अथवा जूनियर डॉक्टर मिल जाएंगे. हरियाणा सरकार ने यह फैसला सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी को दूर करने के लिए लिया है.
फिलहाल प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों को इस फैसले से अलग रखा है, लेकिन भविष्य में इस दायरे में लाया जा सकता है. सरकार एक्ट बनाने पर विचार भी कर रही है. प्रदेश में अभी 4 सरकारी मेडिकल कॉलेज हैं. अनिल विज ने बताया कि सरकारी मेडिकल कॉलेजों के लिए यह नियम इसलिए बनाया गया है क्योंकि प्राइवेट की तुलना में सरकारी मेडिकल कॉलेजों की फीस बहुत कम है. डॉक्टर बनाने में सरकार को भी काफी पैसा खर्च करना पड़ता है. चूंकि यह पैसा राज्य की जनता का है इसलिए मेडिकल स्टूडेंट्स की भी कुछ जिम्मेदारी बनती है कि वह राज्य की जनता की सेवा करें.
(इनपुट एजेंसी से)
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