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This Article is From Mar 12, 2016

सरकार शुरू करेगी ‘स्वयं’ कार्यक्रम, बच्चों को मोबाइल पर मिलेगी 500 कोर्सेज की सुविधा

सरकार शुरू करेगी ‘स्वयं’ कार्यक्रम, बच्चों को मोबाइल पर मिलेगी 500 कोर्सेज की सुविधा
नई दिल्ली: सरकार ने कहा है कि स्ववित्तपोषण शिक्षण संस्थानों द्वारा मनमाना शुल्क वसूल किए जाने के मुद्दे से निपटने के लिए पहले से ही नियामक तंत्र मौजूद है और आने वाली नयी शिक्षा नीति में भी इस संबंध में उचित प्रावधान किए जाएंगे।

मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने राज्यसभा में माकपा के केके रागेश के एक निजी विधेयक स्ववित्तपोषित व्यावसायिक शिक्षण संस्थाएं (नियंत्रण एवं विनियमन) विधेयक, 2016 पर चर्चा में हस्तक्षेप करते हुए यह बात कही। उन्होंने कहा कि भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) इस मामले में नियामक संस्था है जैसे चिकित्सा क्षेत्र के मामले में एमसीआई है।

मनमानी फीस वसूले जाने के मुद्दे पर एआईसीटीई करती है विचार
स्मृति ने कहा कि स्ववित्तपोषण शिक्षण संस्थानों द्वारा मनमाना शुल्क वसूल किए जाने के मुद्दे पर एआईसीटीई विचार करती है। उन्होंने कहा कि इस वर्ग के इंजीनियरिंग कालेजों में काफी सीटें खाली रह जाने का एक बड़ा कारण यह भी है कि इनके पाठ्यक्रम उद्योगों की जरूरतों के अनुरूप नहीं हैं।

सभी बच्चों को शिक्षा से जोड़ने के लिए ‘स्वयं’ कार्यक्रम
उन्होंने कहा कि सरकार अगले सत्र से पोर्टल आधारित एक नया कार्यक्रम ‘स्वयं’ शुरू कर रही है। यह कार्यक्रम मोबाइल फोन आधारित होगा जिसके तहत 500 पाठ्यक्रम मुहैया कराए जाएंगे। उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम के तहत दिए जाने वाले प्रमाणपत्रों और डिप्लोमा को संबंधित शिक्षण संस्थानों द्वारा मान्यता दी जाएगी।

मंत्री ने कहा कि स्वयं शुरू करने के पीछे मुख्य मकसद यह है कि देश के सभी बच्चों को शिक्षा से जोड़ा जा सके।

इसके पहले चर्चा में हस्तक्षेप करते हुए मानव संसाधन विकास राज्यमंत्री रामशंकर कठेरिया ने बताया कि उनके मंत्रालय एवं मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने राज्यों के साथ व्यापक विचार विमर्श किया है। उन्होंने कहा कि शिक्षा से जुड़े 30 विषयों पर यह विचार विमर्श केन्द्रित था जिनमें 13 विषय प्राथमिक शिक्षा से जुड़े थे। उन्होंने कहा कि सरकार इन विचार विमर्श के आधार पर तथा जनता के सुझावों को ध्यान में रखते हुए एक नयी शिक्षा नीति ला रही है। उन्होंने कहा कि इस नई शिक्षा नीति में स्ववित्तपोषित इंजीनियरिंग कॉलेजों से जुड़े मुद्दों का समाधान भी किया जायेगा।

इससे पहले निजी विधेयक पेश करते हुए माकपा के के के रागेश ने स्ववित्तपोषित व्यवसायिक शिक्षण संस्थानों में कैपिटेशन फीस के नाम पर छात्रों से मनमानी धनराशि वसूल किये जाने का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि ऐसे संस्थानों के फीस ढांचे पर कोई नियंत्रण नहीं है।

उन्होंने कहा कि देश में इंजीनियरिंग क्षेत्र के स्ववित्तपोषित व्यवसायिक शिक्षण संस्थानों में 49 प्रतिशत सीटें खाली पड़ी रह जाती हैं। उन्होंने कहा कि सरकार को इस बात की व्यवस्था करनी चाहिये कि इन खाली पड़ी सीटों को सामाजिक एवं शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्ग के ऐसे प्रतिभाशाली बच्चों को दिया जाये जो ऊंची फीस भरने की स्थिति में नहीं हैं।

उन्होंने कहा कि ऐसे शिक्षण संस्थानों में अध्यापकों की भी स्थिति बेहतर नहीं है। बहुत से अध्यापक ऐसे हैं जिन्होंने दोहरा पंजीकरण करा रखा है अर्थात उन्होंने दो या उससे अधिक संस्थानों में शिक्षक के तौर पर अपना नाम पंजीकृत करा रखा है।

रागेश ने कहा कि सरकार को ऐसा कानूनी प्रावधान लाना चाहिये जिससे कि स्ववित्तपोषित वाले इंजीनियरिंग कॉलेजों की खाली पड़ी सीटों को सामाजिक एवं शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्ग के ऐसे प्रतिभाशाली बच्चों को दिया जाये जो ऊंची फीस भरने की स्थिति में नहीं होते हैं। मानव संसाधन विकास मंत्री के अनुरोध पर नागेश ने अपना निजी विधेयक वापस ले लिया।

इससे पहले विधेयक पर हुई चर्चा में अधिकतम सदस्यों ने स्ववित्तपोषित इंजीनियरिंग कॉलेजों के पाठ्यक्रमों को उद्योग की जरूरतों के अनुरूप बनाने तथा इनकी खाली पड़ी सीटों को आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों को दिये जाने के सुझाव का समर्थन किया। चर्चा में कांग्रेस के डा. पी सुब्बीरामी रेड्डी, भाजपा के वासवाराज पाटिल, बीजद के भूपेन्द्र सिंह ने भाग लिया।

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