हिन्दी के मशहूर कवि और साहित्यकार गोपालदास सक्सेना उर्फ 'नीरज' (Gopal Das Neeraj) की आज जन्मतिथि है. कवि के अलावा गोपालदास नीरज गीतकार भी थे. उन्होंने हिन्दी फिल्मों के लिए कई गीत लिखें थे. गोपालदास नीरज का जन्म (Gopal Das Neeraj Birthday) 4 जनवरी 1925 को उत्तर प्रदेश के इटावा जिले के पुरावली गांव में हुआ था. नीरज को लोग आज भी उनके लिखे मशहूर गीतों के लिए याद करते हैं. उन्होंने बॉलीवुड के लिए कई सुपरहिट गाने लिखें, जिन्हें लोग आज भी गुनगुनाते हैं. आज गोपालदास नीरज की जन्मतिथि (Gopal Das Neeraj Birth Anniversary) के मौके हम आपको उनके जीवन से जुड़ी 10 बातें बता रहे हैं.
गोपालदास नीरज (Gopal Das Neeraj) के जीवन से जुड़ी 10 बातें
1. गोपालदास सक्सेना (Gopal Das Neeraj) का जन्म 4 जनवरी 1925 को उत्तर प्रदेश के इटावा जिले के पुरावली गांव में हुआ था. छह बरस की उम्र में ही उन्होंने अपने पिता को खो दिया था. फिर उन्होंने पढ़ाई छोड़ दी और उसके बाद पेट पालने के लिए कई नौकरियां भी कीं. वापस उन्होंने पढ़ाई की ओर रुख किया और पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की. उनका कलम नाम नीरज था और लोग उन्हें इसी नाम से जानते थे.
2. नीरज की लेखन शैली बेहद सरल लेकिन उच्च स्तर की थी. उन्होंने साहित्य सृजन के अलावा ढेरों कविताएं लिखीं. उनकी कविताओं का इस्तेमाल गानों के रूप में कई हिन्दी फिल्मों में किया गया.
3. नीरज ने कई हिन्दी फिल्मों के लिए गाने लिखे. हिन्दी फिल्म जगत में उनकी पहचान एक ऐसे लेखक के रूप में थी जो हिन्दी और उर्दू दोनों ही भाषाओं में बेहद सरलता से गाने लिख सकता था.
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4. नीरज ने 'मेरा नाम जोकर', 'प्रेम पूजारी', 'तेरे मेरे सपने' और 'गैंबलर' जैसी फिल्मों के लिए गाने लिखे. उन्होंने फिल्म प्रेम पूजारी के लिए 'शोखियों में घोला जाए फूलों का शबाब...' और 'फूलों के रंग से...' जैसे गाने लिखे. वहीं फिल्म 'तेरे मेरे सपने' के लिए उन्होंने 'जीवन की बगिया...' गाना लिखा.
5. नीरज (Gopaldas Neeraj) के पांच मशहूर गानों में शामिल हैं- 'कारवां गुज़र गया गुबार देखते रहे...' (फिल्म 'नई उम्र की नई फसल' साल 1965 ), 'फूलों के रंग से दिल की कलम से... (फिल्म 'प्रेम पुजारी' साल 1970), 'ऐ भाई ज़रा देख के चलो...' (फिल्म 'मेरा नाम जोकर' साल 1970), 'खिलते हैं गुल यहां मिलके बिछड़ने को...' (फिल्म 'शर्मिली' साल 1971), 'दिल आज शायर है, ग़म आज नगमा है...' (फिल्म 'गैम्बलर' साल 1971).
6. यूं तो नीरज ने कई सफल गाने लिखे लेकिन उन्हें सबसे ज्यादा पहचान 1968 में आई फिल्म 'कन्यादान' के गाने 'लिखे जो खत तुझे...' से मिली. इस गाने को मोहम्मद रफी ने गाया था, जो उस समय चार्टबस्टर साबित हुआ. फिर उन्होंने फिल्म 'प्रेम पूजारी' के लिए अपने करियर का सर्वश्रेष्ठ गाना 'रंगीला ले...' लिखा.
7. फिल्मी गानों से मिली जबरदस्त पहचान के बावजूद नीरज खुद को बदकिस्मत मानते थे. यही वजह थी कि उन्होंने फिल्मों के लिए गाने लिखना बंद कर दिया था. वह सिर्फ कविताएं और साहित्य लिखने लगे. एक इंटरव्यू में उन्होंने इस बात का खुलासा करते हुए कहा था कि उन्होंने बॉलीवुड के जिन दो-तीन मशहूर संगीतकारों के लिए फिल्मी गाने लिखे थे उनका निधन हो गया था. उन्होंने कहा था कि शंकर-जयकिशन जोड़ी के जयकिशन और एसडी बर्मन का निधन भी हो और उन दोनों के लिए उन्होंने काफी मशहूर गाने लिखे थे.
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8. इन संगीतकारों का निधन तब हुआ था जब वे और नीरज अपन करियर के चरम पर थे. जयकिशन और एसडी बर्मन के निधन से नीरज इतने दुखी हो गए कि उन्होंने फिल्म इंडस्ट्री को हमेशा-हमेशा के लिए छोड़ दिया.
9. लेखन के अलावा नीरज (Neeraj) ने शिक्षा के क्षेत्र में भी काफी योगदान दिया. वह अलीगढ़ के धर्म समाज कॉलेज में हिन्दी साहित्य के प्रोफेसर थे. 2012 में वह अलीगढ़ स्थित मंगलायतन यूनिवर्सिटी के चांसलर भी रहे. नीजर को 1991 में पद्मश्री और 2007 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया.
10. गोपालदास नीजर ने 19 जुलाई 2018 को दिल्ली के एम्स अस्पताल में आखिरी सांस ली थी. उनकी मृत्यु फेफड़ों में इंफेक्शन के चलते हुई थी.
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