नई दिल्ली:
गुणवत्तापूर्ण उच्च शिक्षा प्राप्त करने की हसरत लिये काफी संख्या में छात्र देश में फर्जी उच्च शैक्षणिक संस्थाओं, विश्वविद्यालयों के झांसे में फंसकर अपना भविष्य अंधकारमय बनाने को मजबूर है, ऐसे में छात्रों के साथ धोखाधड़ी करने और उनका भविष्य अंधकार में डालने वाले व्यक्तियों या संस्थाओं पर कठोर कानूनी कार्रवाई सुनिश्चित करने की मांग उठ रही है.
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के 2016 में 23 फर्जी विश्वविद्यालयों की सूची जारी की जबकि आयोग की ओर से 2011 में जारी ऐसी सूची में 21 फर्जी विश्वविद्यालयों के नाम थे. इन कवायदों के बावजूद छात्रों के साथ आज भी धोखाधड़ी बदस्तूर जारी है.
राष्ट्रीय शैक्षणिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) के पूर्व अध्यक्ष एवं सुब्रमण्यम समिति के सदस्य जे एस राजपूत ने कहा, मैं तो 10.15 वषरे से यह देख रहा हूं कि यूजीसी इस प्रकार की फर्जी विश्वविद्यालयों की सूची जारी करती है, लेकिन इस बारे में हमारा रवैया लचर है. इस स्थिति में तब तक कोई सुधार नहीं हो सकता है कि जब तक कि छात्र, अभिभावक, यूजीसी जैसी नियामक संस्थाएं मिलकर पहल नहीं करती.
उन्होंने कहा कि 'चलता है' प्रवृति के कारण जवाबदेही तय नहीं हो पाती है. आपके पास ऐसे फर्जी संस्थाओं की सूची है तब क्यों नहीं तत्काल इनके खिलाफ एफआईआर दर्ज होते, इन्हें कालीसूची में क्यों नहीं डाला जाता है ? इन संस्थाओं में पढ़ाने वाले शिक्षकों को निषेध क्यों नहीं किया जाता है ? हम सब को यह काम करना है, छात्रों का भविष्य अंधेरे में डालने वालों को कठोर दंड सुनिश्चित करने की जरूरत है.
यूसीजी के पूर्व अध्यक्ष प्रो. यशपाल ने कहा कि ऐसे फर्जी शिक्षण संस्थाओं पर कठोर कार्रवाई करने के प्रावधान हैं. जरूरत है कि इन्हें लागू किया जाए. छात्रों के भविष्य की सुरक्षा सर्वोपरि है. ऐसे संस्थाओं पर कार्रवाई होनी चाहिए.
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के 2016 में 23 फर्जी विश्वविद्यालयों की सूची जारी की जबकि आयोग की ओर से 2011 में जारी ऐसी सूची में 21 फर्जी विश्वविद्यालयों के नाम थे. इन कवायदों के बावजूद छात्रों के साथ आज भी धोखाधड़ी बदस्तूर जारी है.
राष्ट्रीय शैक्षणिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) के पूर्व अध्यक्ष एवं सुब्रमण्यम समिति के सदस्य जे एस राजपूत ने कहा, मैं तो 10.15 वषरे से यह देख रहा हूं कि यूजीसी इस प्रकार की फर्जी विश्वविद्यालयों की सूची जारी करती है, लेकिन इस बारे में हमारा रवैया लचर है. इस स्थिति में तब तक कोई सुधार नहीं हो सकता है कि जब तक कि छात्र, अभिभावक, यूजीसी जैसी नियामक संस्थाएं मिलकर पहल नहीं करती.
उन्होंने कहा कि 'चलता है' प्रवृति के कारण जवाबदेही तय नहीं हो पाती है. आपके पास ऐसे फर्जी संस्थाओं की सूची है तब क्यों नहीं तत्काल इनके खिलाफ एफआईआर दर्ज होते, इन्हें कालीसूची में क्यों नहीं डाला जाता है ? इन संस्थाओं में पढ़ाने वाले शिक्षकों को निषेध क्यों नहीं किया जाता है ? हम सब को यह काम करना है, छात्रों का भविष्य अंधेरे में डालने वालों को कठोर दंड सुनिश्चित करने की जरूरत है.
यूसीजी के पूर्व अध्यक्ष प्रो. यशपाल ने कहा कि ऐसे फर्जी शिक्षण संस्थाओं पर कठोर कार्रवाई करने के प्रावधान हैं. जरूरत है कि इन्हें लागू किया जाए. छात्रों के भविष्य की सुरक्षा सर्वोपरि है. ऐसे संस्थाओं पर कार्रवाई होनी चाहिए.
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