
नयी दिल्ली:
दिल्ली हाईकोर्ट ने नर्सरी में दाखिले का मामला एकल पीठ से एक वृहद पीठ को ट्रांसफर करने का अनुरोध करने वाली गैर सरकारी संगठन की याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया.
न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति चंद्रशेखर की पीठ ने कहा कि इस मामले में निर्णय लेने का अधिकार केवल एक वृहद पीठ के पास ही होने के आधार पर एकल पीठ के अधिकार क्षेत्र को चुनौती देने वाली याचिका पर वही एकल पीठ फैसला ले सकती है.
पीठ ने कहा, ‘‘कृपया यह मामला एकल पीठ के समक्ष उठाएं. हम इस मामले पर सुनवाई नहीं करेंगे.’’ अदालत ने कहा, ‘‘आप जब किसी न्यायाधीश या पीठ के अधिकार क्षेत्र को चुनौती देते हैं तो इसकी सुनवाई उसी मंच को करनी चाहिए जिसके पास यह मामला है.’’ गैर सरकारी संगठन ‘जस्टिस फॉर ऑल’ ने दलील दी थी कि स्कूलों ने उपराज्यपाल द्वारा जारी वैधानिक अधिसूचना को चुनौती दी है और दिल्ली उच्च न्यायालय के नियमों के अनुसार इस याचिका की सुनवाई केवल एक खंडपीठ ही कर सकती है.
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संगठन के वकील खगेश झा ने दलील दी कि स्कूलों के संघों ने रिट याचिका दाखिल की है जिसमें उपराज्यपाल द्वारा जारी अधिसूचना को चुनौती दी गई है लेकिन इस याचिका को इस प्रकार तैयार किया गया है जिसमें दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) के एक नियम को चुनौती दी गई है.
दिल्ली सरकार की सात जनवरी की उस अधिसूचना को चुनौती देने वाली याचिकाओं की सुनवाई एकल पीठ कर रही है जिसमें डीडीए की जमीन पर बने 298 निजी स्कूलों को केवल पड़ोसी इलाकों या दूरी के आधार पर ही दाखिला फार्म स्वीकार करने के लिये कहा गया है.
अल्पसंख्यकों के दो स्कूलों एवं गैर सहायता प्राप्त निजी स्कूलों का प्रतिनिधित्व करने वाले दो पृथक समूहों और कुछ माता पिता ने अधिसूचना को चुनौती दी है.
न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति चंद्रशेखर की पीठ ने कहा कि इस मामले में निर्णय लेने का अधिकार केवल एक वृहद पीठ के पास ही होने के आधार पर एकल पीठ के अधिकार क्षेत्र को चुनौती देने वाली याचिका पर वही एकल पीठ फैसला ले सकती है.
पीठ ने कहा, ‘‘कृपया यह मामला एकल पीठ के समक्ष उठाएं. हम इस मामले पर सुनवाई नहीं करेंगे.’’ अदालत ने कहा, ‘‘आप जब किसी न्यायाधीश या पीठ के अधिकार क्षेत्र को चुनौती देते हैं तो इसकी सुनवाई उसी मंच को करनी चाहिए जिसके पास यह मामला है.’’ गैर सरकारी संगठन ‘जस्टिस फॉर ऑल’ ने दलील दी थी कि स्कूलों ने उपराज्यपाल द्वारा जारी वैधानिक अधिसूचना को चुनौती दी है और दिल्ली उच्च न्यायालय के नियमों के अनुसार इस याचिका की सुनवाई केवल एक खंडपीठ ही कर सकती है.
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संगठन के वकील खगेश झा ने दलील दी कि स्कूलों के संघों ने रिट याचिका दाखिल की है जिसमें उपराज्यपाल द्वारा जारी अधिसूचना को चुनौती दी गई है लेकिन इस याचिका को इस प्रकार तैयार किया गया है जिसमें दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) के एक नियम को चुनौती दी गई है.
दिल्ली सरकार की सात जनवरी की उस अधिसूचना को चुनौती देने वाली याचिकाओं की सुनवाई एकल पीठ कर रही है जिसमें डीडीए की जमीन पर बने 298 निजी स्कूलों को केवल पड़ोसी इलाकों या दूरी के आधार पर ही दाखिला फार्म स्वीकार करने के लिये कहा गया है.
अल्पसंख्यकों के दो स्कूलों एवं गैर सहायता प्राप्त निजी स्कूलों का प्रतिनिधित्व करने वाले दो पृथक समूहों और कुछ माता पिता ने अधिसूचना को चुनौती दी है.
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