नयी दिल्ली:
दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल ने नेताजी सुभाष इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एनएसआईटी) बिल दिल्ली विधानसभा को लौटा दिया है. बैजल ने उस बिल पर पुनर्विचार करने को कहा है.
जून 2015 में दिल्ली विधानसभा ने आप सरकार की ओर से पेश एनएसआईटी संशोधन विधेयक पारित किया था जो कि नेताजी सुभाष इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी को यूनिवर्सिटी का दर्जा देने से जुड़ा था. विधेयक पारित करने के बाद सदन ने उसे मंजूरी के लिए गृह मंत्रालय को भेजा था.
विधानसभाध्यक्ष राम निवास गोयल ने चल रहे शीतकालीन सत्र के दौरान सदन को बताया, ‘‘उप राज्यपाल ने नेताजी सुभाष इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एनएसआईटी) बिल लौटा दिया है और उस पर फिर से विचार करने के लिए कहा है.’’ फिलहाल नेताजी सुभाष इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी दिल्ली यूनिवर्सिटी (डीयू) एफिलिएटेड है.
बीते जून में पेश किया गया था बिल
उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने बीते जून में एनएसआईटी बिल सदन में पेश करते हुए कहा था, ‘‘एनएसआईटी को एक यूनिवर्सिटी बनाने से हजारों छात्रों की जरूरतें पूरी होंगी. वर्तमान में एनएसआईटी में 3400 सीटे हैं लेकिन एक बार उसके यूनिवर्सिटी बनने से चार से पांच सालों में 12000 सीटें होंगी.’’
(एजेंसियों से इनपुट)
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जून 2015 में दिल्ली विधानसभा ने आप सरकार की ओर से पेश एनएसआईटी संशोधन विधेयक पारित किया था जो कि नेताजी सुभाष इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी को यूनिवर्सिटी का दर्जा देने से जुड़ा था. विधेयक पारित करने के बाद सदन ने उसे मंजूरी के लिए गृह मंत्रालय को भेजा था.
विधानसभाध्यक्ष राम निवास गोयल ने चल रहे शीतकालीन सत्र के दौरान सदन को बताया, ‘‘उप राज्यपाल ने नेताजी सुभाष इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एनएसआईटी) बिल लौटा दिया है और उस पर फिर से विचार करने के लिए कहा है.’’ फिलहाल नेताजी सुभाष इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी दिल्ली यूनिवर्सिटी (डीयू) एफिलिएटेड है.
बीते जून में पेश किया गया था बिल
उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने बीते जून में एनएसआईटी बिल सदन में पेश करते हुए कहा था, ‘‘एनएसआईटी को एक यूनिवर्सिटी बनाने से हजारों छात्रों की जरूरतें पूरी होंगी. वर्तमान में एनएसआईटी में 3400 सीटे हैं लेकिन एक बार उसके यूनिवर्सिटी बनने से चार से पांच सालों में 12000 सीटें होंगी.’’
(एजेंसियों से इनपुट)
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