आईसीएसई (ICSE) दसवीं क्लास के बचे हुए पेपर को लेकर काउंसिल फॉर इंडियन स्कूल सर्टिफिकेट एग्जामिनेशन (CISCE) ने बॉम्बे हाई कोर्ट में अपना प्रस्ताव जमा करा दिया है. इस प्रस्ताव में कहा गया है कि छात्र एग्जाम न देने का विकल्प चुन सकते हैं, ऐसी स्थिति में इंटरनल या प्री-बोर्ड मार्क्स के हिसाब से उनका रिजल्ट जारी किया जाएगा. बॉम्बे हाई कोर्ट में अभिभावक की तरफ से ICSE 10वीं बोर्ड के बचे हुए एग्जाम रद्द करने की मांग की गई थी, जिसके जवाब में काउंसिल ने अपना ये प्रस्ताव कोर्ट में जमा कराया है. कोरोनावायरस महामारी के चलते लागू हुए लॉकडाउन की वजह से आईसीएसई बोर्ड के कुछ पेपर नहीं हो सके थे. CISCE ने ये बचे हुए पेपर 2 जुलाई से 12 जुलाई के बीच कराने का फैसला किया है. इन एग्जाम में करीब 2.8 लाख छात्रों के शामिल होने की संभावना है. CISCE के इसी फैसले को कोर्ट में चुनौती दी गई है.
CISCE ने सोमवार को सुनवाई के दौरान कोर्ट के सामने अपना प्रस्ताव रखा. CISCE ने प्रस्ताव में ये भी कहा है, ''जिन विषयों के पेपर हो चुके हैं, उनके रिजल्ट उसी पेपर की परफॉर्मेंस के हिसाब से जारी किए जाएंगे.''
इस मामले की अगली सुनवाई 17 जून को होगी. इससे पहले सुनवाई में CISCE ने कहा था कि वो पहले ही छात्रों की सुरक्षा मानदंडों का ऐलान कर चुके हैं, जिसमें हर पेपर के बाद एग्जामिनेशन हॉल का सैनिटाइजेशन किया जाएगा और सोशल डिस्टेंसिंग का भी खास ख्याल रखा जाएगा. साथ ही मेन गेट पर छात्रों की थर्मल स्क्रीनिंग, मास्क और सैनिटाइजर के इस्तेमाल की बात भी CISCE ने कही थी.
इसके अलावा CISCE ने ये भी कहा है कि एग्जाम के दौरान किसी भी छात्र को स्टेशनरी का सामान एक दूसरे को देने या लेने की अनुमति नहीं होगी. साथ ही कहा गया है कि एग्जाम टीचर को ग्लव्स पहनना होगा.
आईसीएसई के अलावा दूसरी तरफ सीबीएसई (CBSE) के खिलाफ भी सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है. सीबीएसई ने 12वीं क्लास के बचे हुए पेपर 1 से 15 जुलाई के बीच कराने को कहा है, जिसके खिलाफ पैरेंट्स ने याचिका लगाई है और एग्जाम रद्द करने की मांग की है.
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