
सीबीएसई 12वीं बोर्ड की परीक्षाएं सरकार ने रद्द कर दी हैं. परीक्षाएं रद्द होने के बाद छात्रों और अभिभावकों की नजरें इस बात पर टिकी हुई हैं कि आखिर उनका मूल्यांकन किस आधार पर किया जाएगा. वहीं, 12वीं बोर्ड परीक्षाओं पर आज हुई सुनवाई में सीबीएसई ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि वे 12वीं के नतीजे घोषित करने के लिए ऑब्जेक्टिव क्राइटेरिया को अपनाएंगे.
सीबीएसई ने सुप्रीम को बताया कि वह 12वीं के छात्रों का परिणाम घोषित करने के लिए दो सप्ताह के अंदर आकलन करने के क्राइटेरिया को बताएंगे. इस अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट ने सीबीएसई और आईसीएसई को दो हफ्ते का समय दिया है. इसके साथ ही 12वीं की परीक्षा रद्द होने पर सुप्रीम कोर्ट ने भी खुशी जाहिर की है.
SC ने कहा, "हमें खुशी है कि सरकार ने परीक्षा रद्द कर दी हैं, लेकिन आप किस प्रिंसिपल को लागू करने जा रहे हैं?"
हालांकि, आईसीएसई बोर्ड के वकील ने चार सप्ताह के समय की मांग की थी. लेकिन दो न्यायाधीशों की पीठ की अध्यक्षता करते हुए न्यायमूर्ति खानविलकर ने कहा, "चार सप्ताह लंबा समय है, क्योंकि छात्र विदेशी विश्वविद्यालयों में प्रवेश लेना चाहते है. इसमें सौदेबाजी न करें, यह छात्रों को प्रभावित करेगा और इसे दो सप्ताह में पूरा करें."
याचिकाकर्ता ममता शर्मा ने देशभर के राज्य बोर्डों द्वारा 12वीं की परीक्षा रद्द करने का मुद्दा उठाते हुए तर्क दिया कि इससे करीब 1.2 करोड़ छात्र प्रभावित होंगे.
इसपर SC ने कहा, "पहले हमें इस मुद्दे को सुलझाने दें. धैर्य रखें. छात्र समुदाय के सभी मुद्दों और शिकायतों का समाधान किया जाएगा."
न्यायमूर्ति ए.एम. खानविलकर और दिनेश माहेश्वरी ने सीबीएसई और आईसीएसई को परिणाम घोषित करने के लिए अपने मानदंड प्रस्तुत करने की अनुमति देते हुए मामले को दो सप्ताह के लिए स्थगित कर दिया.
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