Ambedkar Jayanti 2021: संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर की आज जयंती है. उनका जन्म आज ही के रोज 14 अप्रैल 1891 को मध्य प्रदेश के एक छोटे से गांव महू में हुआ था. हालांकि उनका परिवार मराठी था और मूल रूप से महाराष्ट्र के रत्नागिरी जिले के आंबडवे गांव से था. आइए उनकी जयंती पर जानते हैं उनके बारे में.
भीमराव अंबेडकर के पिता का नाम रामजी मालोजी सकपाल और मां भीमाबाई थीं. आपको बता दें, अंबेडकर महार जाति के थे. इस जाति के लोगों को समाज में अछूत माना जाता था और उनके साथ भेदभाव किया जाता था.
जब अंबेंडर ने अपनाया बौध धर्म
ऐसा कहा जाता है कि हिंदू धर्म में व्याप्त चतुष्वर्णीय जाति व्यवस्था के कारण इन्हें जीवन भर छुआछूत का सामना करना पड़ा. स्कूल के सबसे मेधावी छात्रों में गिने जाने के बावजूद उन्हें पानी का गिलास छूने का अधिकार नहीं था. बाद में इन्होंने हिंदू धर्म की कुरीतियों को समाप्त करने का जिंदगी भर प्रयास किया. हालांकि, कुछ जानकार यह भी कहते हैं कि जब उन्हें लगा कि ये हिंदू धर्म से कुरीतियों को नहीं मिटा पाएंगे, तब उन्होंने 14 अक्टूबर, 1956 में अपने लाखों समर्थकों सहित बौद्ध धर्म अपना लिया.
संविधान निर्माता
भीमराव अंबेडकर को 15 अगस्त, 1947 को देश की आजादी के बाद देश के पहले संविधान के निर्माण के लिए 29 अगस्त, 1947 को संविधान की प्रारूप समिति का अध्यक्ष बनाया गया. फिर दो वर्ष, 11 माह, 18 दिन के बाद संविधान बनकर तैयार हुआ. 26 नवंबर, 1949 को इसे अपनाया गया और 26 जनवरी, 1950 को लागू कर दिया गया. दरअसल, अंबेडकर की गिनती दुनिया के सबसे मेधावी व्यक्तियों में होती थी. वे 9 भाषाओं के जानकार थे. इन्हें देश-विदेश के कई विश्वविद्यालयों से पीएचडी की कई मानद उपाधियां मिली थीं. उनके पास कुल 32 डिग्रियां थीं. यही वजह है कि कानूनविद् अंबेडकर को प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने भारत का पहला कानून मंत्री बनाया था.
अमेरिका की कोलंबिया यूनिवर्सिटी से की ग्रेजुएशन
भीमराव अंबेडकर (Dr. Bhimrao Ambedkar) मुंबई की एल्फिंस्टन रोड पर स्थित गवर्नमेंट स्कूल के पहले अछूत छात्र बने. 1913 में अमेरिका की कोलंबिया यूनिवर्सिटी में पढ़ने के लिए भीमराव का चयन किया गया, जहां से उन्होंने राजनीति विज्ञान में ग्रेजुएशन किया. 1916 में उन्हें एक शोध के लिए पीएचडी से सम्मानित किया गया.
स्वतंत्र लेबर पार्टी की स्थापना
भीमराव अंबेडकर (Bhimrao Ambedkar) ने 1936 में स्वतंत्र लेबर पार्टी की स्थापना की. इस पार्टी ने 1937 में केंद्रीय विधानसभा चुनावों मे 15 सीटें जीती. महात्मा गांधी दलित समुदाय को हरिजन कहकर बुलाते थे, लेकिन अंबेडकर ने इस बात की खूब आलोचना की. 1941 और 1945 के बीच उन्होंने कई विवादित किताबें लिखीं जिनमें 'थॉट्स ऑन पाकिस्तान' और 'वॉट कांग्रेस एंड गांधी हैव डन टू द अनटचेबल्स' भी शामिल हैं.
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं