विश्वबैंक ने भारत में फेसबुक समेत वैश्विक स्तर पर कंपनियों द्वारा सीमित पहुंच के साथ लोगों तक मुफ्त इंटरनेट उपलब्ध कराने के अभियान को लेकर चिंता जताई है। गौरतलब है कि भारत में भी फेसबुक की इस पहल (फ्री-बेसिक्स) का व्यापक तौर पर विरोध हो रहा है।
विश्वबैंक ने कहा है कि नेट निरपेक्षता के तहत उपयोगकर्ताओं तक इंटरनेट की आसान पहुंच सुनिश्चित करनी चाहिए और उनके मौलिक अधिकार तथा आजादी को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।
विश्वबैंक ने एक रिपोर्ट में कहा, 'इस बात का ध्यान रखा जाना चाहिए कि उपयोगकर्ताओं तक इंटरनेट आधारित सामग्री, एप्लीकेशन और उनकी रुचि की सेवाओं तक यथासंभव पहुंच हो।' रिपोर्ट के अनुसार, 'लेकिन ट्रैफिक प्रबंधन उपायों से मौलिक अधिकारों तथा आजादी खासकर अभिव्यिक्ति की आजादी में कमी नहीं होनी चाहिए।'
विश्वबैंक ने 350 पेज की अपनी रिपोर्ट 'वर्ल्ड डेवलपमेंट रिपोर्ट 2016: डिजिटल डिविडेंड्स' में कहा गया है कि इस मामले में सोच समझकर सावधानीपूर्वक संतुलन बनाना चाहिए, ताकि टेलिकॉम कंपनियों को अपने नेटवर्क की क्षमता को मजबूत बनाने और विस्तार के लिए प्रोत्साहन मिले।
यह नेट निरपेक्षता के खिलाफ है...
विश्वबैंक ने अपनी रिपोर्ट में भारत जैसे विभिन्न विकासशील देशों में नेट निरपेक्षता को लेकर चल रही चर्चा तथा फेसबुक जैसी कंपनियों की पेशकश का जिक्र किया है।
रिपोर्ट के अनुसार, 'हाल में ऐसी सेवा तैयार की गई, जिसमें कुछ मूल सामग्री तक बिना इंटरनेट शुल्क के पुंहचा जा सकता है, जैसा कि फेसबुक की फ्री-बेसिक्स या इंटरनेट डॉट ओआरजी जबकि अन्य के लिए शुल्क देना होगा। यह नेट निरपेक्षता के खिलाफ है और बाजार को बिगाड़ने वाला है।'