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Tech Layoffs: जानें दिग्गज टेक कंपनियां क्यों लगातार कर रही हैं कर्मचारियों की छंटनी

Tech Layoffs: टेक कंपनियों के बीच जारी छंटनी के सिलसिले के बीच एप्पल इस लिस्ट से बाहर रहा है. आईफोन बनाने वाले कंपनी एप्पल ने हाल के वर्षों में अपने कर्मचारियों की संख्या बढ़ाने से परहेज जरूर किया है. जिसके परिणामस्वरूप उसे कर्मचारियों की संख्या को कम नहीं करना पड़ा.
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NDTV Profit हिंदी03:49 PM IST, 26 Jan 2023NDTV Profit हिंदी
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Tech Layoffs: दुनिया भर की बड़ी टेक कंपनियां हमेशा खबरों में रहती हैं. आमतौर पर वह नए प्रोडक्ट की लॉन्चिंग को लेकर खबरों में रहती हैं. हालाँकि, हाल ही में टेक न्यूज इंडस्ट्री में किसी नये गैजेट या इनोवेशन की बजाय, बड़ी टेक कंपनियों में भारी छंटनी की खबरें सुर्खियों में बनीं रही हैं. पिछले साल बिग टेक कंपनियों द्वारा वैश्विक स्तर पर 70,000 से अधिक लोगों को नौकरी से निकाला गया है . इसमें उन कंपनियों और अन्य ऑर्गेनाइजेशन को शामिल नहीं किया गया है, जो बजट में कमीं होने के कारण अपना बिजनेस बंद कर रहे हैं और कर्मचारियों को निकाल रहे हैं. आखिर इतने बड़े पैमाने पर इस हलचल का कारण क्या था? और इंडस्ट्री के साथ-साथ आपके लिए इसका क्या मतलब है. और इससे क्या नुकसान है, यह जानना जरूरी है.

कोविड महामारी के खत्म होने के बाद से अल्फाबेट (12,000 कर्मचारी), अमेज़ॉन (18,000), मेटा (11,000), ट्विटर (4,000), माइक्रोसॉफ्ट (10,000) और सेल्सफोर्स (8,000) सहित प्रमुख टेक कंपनियों से बड़ी संख्या में कर्मचारियों को निकाल दिया गया है. टेस्ला, नेटफ्लिक्स, रॉबिन हुड, स्नैप, कॉइनबेस और स्पॉटिफ़ाई सहित अन्य घरेलू नाम भी इस सूची में शामिल हैं . लेकिन उनके द्वारा कर्मचारियों की छंटनी ऊपर बताई गई संख्या की तुलना में काफी कम है.

 इन आंकड़ों में कारोबार में कमी के कारण की जाने वाली छंटनी शामिल नहीं है, जैसे कि ऐड एजेंसियां कर्मचारियों की छंटनी करती हैं क्योंकि एडवरटाइजमेंट खर्च कम हो जाता है, या टेक प्रोडक्ट ऑर्डर कम होने के कारण निर्माताओं का आकार कम हो जाता है. इसके अलावा स्वेच्छा से नौकरी छोड़ने वालों के बारे में नहीं भूलना चाहिए, जो ऑफिस नहीं आना चाहते हैं, अपने मैनेजर से नफरत करते हैं, या उनके काम करने के तरीके से खुश नहीं हैं.

इन सभी चीजों का सीधा सीधा प्रभाव कंसलटेंसी, डिस्ट्रीब्यूशन, एडवरटाइजिंग और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में महसूस किए जा रहे हैं. इस कदम के जरिए कंपनियां अपना खर्च कम करेंगी और इससे एआई में इनोवेशन लाने का काम करेंगी.


छंटनी की वजह क्या है?

एडवरटाइजमेंट कॉस्ट और रेवेन्यू में कमी होने से कंपनियों पर अतिरिक्त बोझ बढ़ता है. कई कंपनियां एडवरटाइजमेंट के जरिए मोटा पैसा कमाती हैं. इसलिए जब तक उनके पास फंड आने का रास्ता खुला होता है तब तक तो वह अपने कर्मचारियों पर खुलकर पैसे खर्च करती हैं. जो कि विशेष रूप से कोरोना महामारी से पहले देखा जा रहा था. लेकिन पिछले साल एडवरटाइजमेंट रेवेन्यू में भारी कमी आई. जिसका कारण आंशिक रूप से कोरोना महामारी से उत्पन्न वैश्विक मंदी की आशंकाएं थी. वैश्विक मंदी की आशंकाओं को देखते हुए कंपनियों ने भारी संख्या में कर्मचारियों की छंटनी की.

हालांकि, टेक कंपनियों के बीच जारी छंटनी के सिलसिले के बीच एप्पल इस लिस्ट से बाहर रहा है. आईफोन बनाने वाले कंपनी एप्पल ने हाल के वर्षों में अपने कर्मचारियों की संख्या बढ़ाने से परहेज जरूर किया है. जिसके परिणामस्वरूप उसे कर्मचारियों की संख्या को कम नहीं करना पड़ा. यहां तक कि ट्विटर ने अब तक के पूर्वानुमान के उलट अपने रेवेन्यू के स्रोतों में बदलाव लाने की कोशिश कर रहा है. इसका मतलब है कि कुछ परियोजनाएं, जैसे मार्क जुकरबर्ग की मेटावर्स उस रफ्तार से विकसित नहीं होंगी, जैसी कारोबार के दिग्गजों ने शुरू में उम्मीद की थी.

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