2000 रुपये के नोट को प्रचलन से हटाने के आरबीआई के फैसले के बाद से तमाम लोगों के साथ साथ राजनीतिक दलों का भी आरोप है कि इस फैसले से देश की अर्थव्यवस्था को नुकसान होगा. इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट ऑफ इंडिया के पूर्व अध्यक्ष वेद जैन ने एनडीटीवी से बात करते हुए स्पष्ट रूप से माना कि इसका अर्थव्यवस्था पर असर होगा.
जैन ने एनडीटीवी से बात करते हुए कहा कि कैश इन सरकुलेशन अर्थव्यवस्था का ऑयल होता है. आज के दिन अगर करीब 3.50 लाख करोड़ के 2000 के नोट सर्कुलेशन में हैं. अगर आरबीआई 10 फ़ीसदी करेंसी को बाजार से निकालती है तो जो इकनोमिक एक्टिविटी है, आर्थिक गतिविधियां हैं उस पर असर पड़ेगा.
उनका कहना है कि यह असर ज्यादा व्यापक नहीं होगा. इकोनामिक एक्टिविटी पर थोड़ा असर पड़ेगा. उनका कहना है कि यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि कितनी करेंसी वापस जमा होती है और कब तक. जैन का कहना है कि पब्लिक में यह राय है कि ₹2000 के नोट आगे चलकर मुश्किल खड़ी कर सकते हैं.
यह गौर करने की बात है कि 19 मई के आरबीआई के फैसले के बाद से कुछ दुकानदार और कारोबारी 2000 के नोट लेने से घबरा रहे हैं. इसकी वजह से व्यापार के वॉल्यूम पर कुछ असर पड़ सकता है.