सुप्रीम कोर्ट किंगफिशर एयरलाइंस के मुखिया विजय माल्या के ख़िलाफ़ बैंक एसोसिएशन की दायर याचिका पर सुनवाई करेगा. पिछली सुनवाई में बैंक एसोसिएशन ने सुप्रीम कोर्ट से मांग की थी और कहा था कि कोर्ट किंगफिशर एयरलाइंस के मुखिया विजय माल्या को आदेश दे कि वह डिएगो डील से मिले 40 मिलियन यू एस डॉलर को एक हफ्ते के भीतर उसे भारत लेकर आये.
अगर वह पैसे को वापस भारत नहीं लाते तो व्यक्तिगत तौर पर कोर्ट में पेश हो. बैंक एसोसिएशन ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि डिएगो डील से मिले 40 मिलियन डॉलर को बच्चों के अकाउंट में ट्रांसफर किया है और उसका एक ट्रस्ट बना रखा है. SBI और दूसरे बैंकों ने सुप्रीम कोर्ट से मांग की और कहा कि माल्या ने कर्नाटक हाईकोर्ट के आदेश का उल्लंघन कर डिएगो डील से मिले 40 मिलियन डॉलर को बच्चों के अकाउंट में ट्रांसफर किया है. बैंकों ने डील से मिले 40 मिलियन अमेरिकी डॉलर को सुप्रीम कोर्ट में जमा कराने की मांग की है.
इससे पहले विजय माल्या की याचिका पर कोर्ट ने बैंको को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था. याचिका में माल्या ने अवमानना नोटिस को वापस लेने की मांग की है. माल्या का कहना है कि संपत्ति का ब्योरा समझौते के लिए दिया था जबकि समझौता नहीं हो रहा है, लिहाजा कोई अवमानना का मामला नहीं बनता. दरअसल सुप्रीम कोर्ट किंगफिशर एयरलाइंस के मुखिया विजय माल्या के खिलाफ अदालत की अवमानना के मामले की सुनवाई कर रहा है.
बता दें कि SBI और बैंकों ने सुप्रीम कोर्ट में अदालत की अवमानना की याचिका दाखिल की है जिस पर कोर्ट ने माल्या को नोटिस जारी कर पूछा था कि क्यों ना उनके खिलाफ अवमानना का मुकदमा चलाया जाए. बैंकों की याचिका में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर माल्या ने सील कवर में संपत्ति का ब्योरा दिया, वो गलत है. AG ने कोर्ट को कहा कि माल्या ने इस डिक्लेरेशन में कई जानकारियां छिपाई, झूठ बोला है. माल्या ने 2500 करोड के कैश का लेन देन भी छिपाया है जो कोर्ट के आदेश की अवमानना है. दरअसल कोर्ट के आदेश पर माल्या ने देश विदेशी अपनी संपत्ति का ब्योरा दाखिल किया था. इससे पहले बैंकों का करीब 9000 करोड रुपये लोन ना चुकाने के मामले में कोर्ट ने माल्या को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था.