ADVERTISEMENT

US Fed Rate Hike: बैंकिंग संकट पर भारी महंगाई संकट, फेड ने ब्याज दरें 25bps बढ़ाईं, कहा- महंगाई बड़ी चुनौती

दिसंबर में 50 बेसिस प्वाइंट की बढ़ोतरी की थी, इसके पहले 4 बार लगातार 75 बेसिस प्वाइंट का इजाफा ब्याज दरों में किया था. साल 2024 के अंत में दरों का अनुमान 4.1% से बढ़कर अब 4.3% हो गया है.
NDTV Profit हिंदीNDTV Profit Desk
NDTV Profit हिंदी10:39 AM IST, 23 Mar 2023NDTV Profit हिंदी
NDTV Profit हिंदी
NDTV Profit हिंदी
Follow us on Google NewsNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदी

अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने उम्मीद के मुताबिक ब्याज दरों में 25 बेसिस प्वाइंट की बढ़ोतरी कर दी है. ये बढ़ोतरी मार्केट्स और ब्रोकरेजेज की उम्मीद के मुताबिक ही है. हालांकि, ब्याज दरों में बढ़ोतरी पर रोक (Pause) लगाने की चर्चा भी बाजार में गरम हो गई थी. दो दिनों की बैठक के बाद फेड ने जो ऐलान किया वो मार्केट पहले ही मान चुका था, तो फिर अलग क्या है फेड की पॉलिसी में? वो है फेड चेयरमैन जेरोम पॉवेल की कमेंट्री, जिसे एक्सपर्ट्स बता रहे हैं कि टोन में नरमी आई है.

फेड ने 25 bps बढ़ाई ब्याज दरें
मार्च 2022 से फेड ने ब्याज दरें 9 बार बढ़ाई हैं. इस बार ब्याज दरें तय करने वाली FOMC ने एकमत से ब्याज दरों को 25 बेसिस प्वाइंट बढ़ाने के लिए वोट किया, जो कि अनुमानित टारगेट रेंज 4.75%-5% के मुताबिक ही है. इससे पहले ये रेंज 2008 की ग्लोबल फाइनेंस क्राइसिस के समय हुआ करता था.

दरों को लेकर अनुमान बताता है कि साल 2023 के अंत में मीडियन अनुमान 5.1% का है, जो कि दिसंबर में दिया गया था, उसी के मुताबिक है. यहां तक दरें पहुंची कैसे, जरा इसको भी देख लीजिए, फेड ने दिसंबर में 50 बेसिस प्वाइंट की बढ़ोतरी की थी, इसके पहले 4 बार लगातार 75 बेसिस प्वाइंट का इजाफा ब्याज दरों में किया था. साल 2024 के अंत में दरों का अनुमान 4.1% से बढ़कर अब 4.3% हो गया है.

फेड की टोन में नरमी, क्या दरों में कटौती का संकेत है?
ब्याज दरों में बढ़ोतरी से अलग फेड की कमेंट्री पर गौर करना बेहद जरूरी है. अभी तक फेड की भाषा ये थी कि 'ब्याज दरों में बढ़ोतरी' जारी रहेगी, इसे लेकर फेड का टोन एकदम सॉलिड था. लेकिन अब फेड की टोन में नरमी आई है, फेड का कहना है कि कुछ 'अतिरिक्त पॉलिसी निर्धारण' पर विचार करना सही हो सकता है.'

फेड की टोन में नरमी पर जब जेरोम पॉवेल से पत्रकारों की ओर से पूछा गया कि ऐसा क्यों है, क्या इस साल किसी रेट कट की उम्मीद है? तो पॉवेल ने कहा कि फेड इस साल किसी तरह के रेट कट की उम्मीद नहीं कर रहा है. हमारी पूरी प्रतिबद्धता कीमतों में स्थिरता लाने की है, और साक्ष्य बताते हैं कि लोगों को भरोसा है कि हमें ऐसा करना चाहिए.

'जरूरत पड़ी तो आगे भी दरें बढ़ाएंगे'
पॉवेल ने साफ कहा कि 'अगर जरूरत पड़ी तो फेड के अधिकारी आगे भी दरें बढ़ाने को तैयारी हैं.' पत्रकारों ने मौजूदा बैंकिंग संकट को लेकर पूछा कि क्या इसे लेकर कोई बात हुई, क्या इसका असर आप पॉलिसी पर देख रहे हैं. पॉवेल ने बताया कि 'मौजूदा बैंकिंग संकट को देखते हुए पॉलिसीमेकर्स के बीच में इस बात पर भी चर्चा हुई कि क्या ब्याज दरों में बढ़ोतरी पर लगाम लगानी चाहिए, लेकिन हमारे बीच ब्याज दरों में बढ़ोतरी करने पर ही सहमति बनी, क्योंकि मौजूदा डेटा ये बता रहे हैं कि महंगाई का दबाव अभी जारी रहेगा.'

बैंकिंग संकट पर भारी महंगाई संकट
मतलब ये कि फेड ब्याज दरों में बढ़ोतरी को कब रोकेगा, इसे लेकर कोई साफ साफ जवाब नहीं दिया गया है, लेकिन इस संभावना से भी इनकार नहीं किया जा सकता कि फेड ये फैसला लेगा जब आंकड़े उसके पक्ष में होंगे. जहां तक बैंकिंग संकट का सवाल है, उस पर महंगाई का संकट भारी पड़ा है.

ब्याज दरों में बढ़ोतरी और अनुमान ये बताने के लिए काफी हैं कि पॉलिसीमेकर्स महंगाई को 2% के नीचे लाने की पुरजोर कोशिश में लगे हैं, जो कि फरवरी में 6% रही है. ब्याज दरें तय करने वाली फेडरल ओपन मार्केट कमेटी यानी FOMC का कहना है कि 'भविष्य में दरें आगे बढ़ेंगी या नहीं, ये अभी निश्चित तौर पर नहीं कहा जा सकता है, सबकुछ डेटा पर निर्भर करता है.'

फेड का साल 2023 के अंत तक प्रोजेक्टेड रेट 5.1% है, जो कि दिसंबर में जारी किए गए अनुमानों के मुताबिक ही है.

दरअसल, अमेरिका में बैंकिंग संकट के बाद फेड अब वित्तीय स्थिरता और महंगाई के बीच बैलेंस बनाने की कोशिश में जुटा है. फेड की कोशिश मार्केट को ये संदेश देने की है कि अमेरिका का बैंकिंग सिस्टम मजबूत है और घबराने जैसी कोई स्थिति नहीं है. फेड ने कहा कि मौजूदा बैंकिंग संकट के चलते घरों के लिए और बिजनेस के लिए क्रेडिट परिस्थितियां सख्त होंगी, आर्थिक परिस्थितियों पर भी इसका असर देखने को मिलेगा, हायरिंग और महंगाई पर भी दबाव डालेगा, और इसका असर कितना होगा ये भी निश्चित नहीं है.

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह BQ प्राइम से सीधे प्रकाशित की गई है.)

NDTV Profit हिंदी
लेखकNDTV Profit Desk
NDTV Profit हिंदी
फॉलो करें
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT