ADVERTISEMENT

क्या होगा अगर आपने 31 जुलाई तक इनकम टैक्स रिटर्न फाइल नहीं किया तो...?

ऐसा नहीं है कि टैक्सपेयर्स 31 जुलाई के बाद आयकर रिटर्न फाइल नहीं कर सकते। 31 जुलाई की तारीख डेडलाइन के तौर पर आखिरी तारीख भले ही हो लेकिन उसके बाद भी रिटर्न फाइल किया जा सकता है हालांकि इस लेट फाइलिंग में आपको कुछ ऐसे फायदे खोने पड़ सकते हैं, वे ये हैं....
NDTV Profit हिंदीNDTV Profit Desk
NDTV Profit हिंदी09:38 AM IST, 20 Jul 2016NDTV Profit हिंदी
NDTV Profit हिंदी
NDTV Profit हिंदी
Follow us on Google NewsNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदी

ऐसा नहीं है कि टैक्सपेयर्स 31 जुलाई के बाद आयकर रिटर्न फाइल नहीं कर सकते। 31 जुलाई की तारीख डेडलाइन के तौर पर आखिरी तारीख भले ही हो लेकिन उसके बाद भी रिटर्न फाइल किया जा सकता है हालांकि इस लेट फाइलिंग में आपको कुछ ऐसे फायदे खोने पड़ सकते हैं जो समय से फाइल करने पर आपको मिल सकते हैं। यही वजह है कि आमतौर पर करदाता 31 जुलाई तक हरसंभव कोशिश करते हैं कि रिटर्न फाइल हो जाए।

पढ़ें : रिटर्न फाइल करने का सबसे आसान तरीका है, यह

अभी तक लागू नियमानुसार, जिस वित्तीय वर्ष का टैक्स आप 31 जुलाई तक फाइल करने वाले थे, किसी कारणवश नहीं कर पाए हों, उसे आप दो साल तक फाइल कर सकते हैं। यहां गौर फरमाएं कि यह नियम इस फरवरी 2016 को पेश किए गए बजट में बदल दिया गया है और मियाद दो साल से घटाकर एक साल कर दी गई है। यह नया नियम अप्रैल 2017 से लागू होगा।

ये हैं कुछ फायदे, जो वक्त पर (31 जुलाई) तक टैक्स रिटर्न फाइल करने से मिलते हैं :

रिफंड में देरी और IT विभाग की रिफंड में देरी पर ब्याज के मामले में...
अगर आपका टैक्स ज्यादा कट गया है तो आप आयकर विभाग से इसे वापस मांग सकते हैं। डेडलाइन के बाद रिटर्न फाइल करेंगे तो निश्चित तौर पर रिफंड में भी देरी होगी। वैसे बता दें कि यदि टैक्स डिपार्टमेंट की ओर से रिफंड देने में देरी होती है तो वह आपको इस पर बाकायदा ब्याज चुकाएगा। यह उसी तारीख से काउंट होगा जिस तारीख को आपने रिटर्न फाइल किया है। अब अगर देरी से फाइल करेंगे तो उसी तारीख से आपको रकम पर ब्याज मिलेगा जोकि निश्चित तौर पर देर से रिटर्न फाइल करने पर कम बनेगा।

घाटे को अडजस्ट करने का विकल्प....
करदाता कुल 8 सालों तक अपने घाटे को भविष्य के पूंजीगत लाभों (कैपिटल गैन) में अडजस्ट कर सकता है। मगर करदाता यह विकल्प तभी चुन सकता है जब वक्त पर वह अपना टैक्स रिटर्न फाइल करे। रिटर्न डेडलाइन के बाद फाइल किया तो घाटा आगे अजस्ट करने का मौका नहीं मिलेगा।

लोन या वीजा के लिए अप्लाई किया हो तो....
आपका टैक्स रिटर्न आपकी कुल इनकम का सबूत है। जब आप लोन के लिए अप्लाई करते हैं तो बैंक आपसे पिछला इनकम टैक्स रिटर्न मांग सकता है क्योंकि यह बैंक के लिए आपका 'Proof of Income' हो। अगर आप वीजा के लिए अप्लाई करने जा रहे हैं तो हो सकता है कि आपकी वित्तीय स्थिति जांचने के लिए रिटर्न मांग लिया जाए। ऐसे में आपके द्वारा फाइल किया गया रिटर्न एक महत्वपूर्ण दस्तावेज हो जाता है।

जुर्माने और मुकदमे से बचना है तो...
अगर आप टैक्स रिटर्न फाइल करने में देरी करते हैं तो आपको टैक्स अमाउंट पर प्रति माह 1% की दर से ब्याज देना होगा। इसके अलावा, यदि टैक्स फाइल नहीं ही करते हैं तो टैक्स डिपार्टमेंट आप पर 5,000 रुपये का जुर्माना ठोक सकता है। उससे भी आगे जाकर यदि आपने जानबूझ कर रिटर्न नहीं भरा (विलफुल डिफॉल्टर) तो इससे भी ज्यादा जुर्माना लग सकता है। कुछ गंभीर मामलों में तो आयकर विभाग आप पर मुकदमा भी ठोक सकता है।

NDTV Profit हिंदी
लेखकNDTV Profit Desk
NDTV Profit हिंदी
फॉलो करें
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT