वित्त मंत्रालय का मानना है कि स्टैंडर्ड एंड पूअर्स तथा फिच से भारत की रेटिंग कम से कम एक कदम बढ़ाने का मामला बनता है। अगले महीने जब इन रेटिंग एजेंसियों के अधिकारी भारत आएंगे, उस समय भारत अपनी बात उनके समक्ष रखेगा।
आर्थिक मामलों के सचिव अरविंद मायाराम ने कहा, मेरा मानना है कि एसएंडपी और फिच द्वारा भारत की रेटिंग बढ़ाने का मामला बनता है। निश्चित रूप से एक या दो कदम उन्नयन का मामला बनता है। रेटिंग घटाने का कोई मामला नहीं है। उन्होंने कहा कि अगले महीने दोनों रेटिंग एजेंसियां भारत आ रही हैं। उस समय वित्त मंत्री पी चिदंबरम उनके समक्ष अर्थव्यवस्था की स्थिति के बारे में बताएंगे और साथ ही यह भी बताएंगे कि सरकार ने राजकोषीय घाटे पर अंकुश के लिए क्या कदम उठाए हैं।
मायाराम ने कहा, अप्रैल में हमारा रेटिंग एजेंसियों से विचार-विमर्श हो सकता है। उन्होंने कहा कि मूडीज भी भारत की रेटिंग के लिए आएगी, पर अभी इसका कोई समय तय नहीं है। एसएंडपी एवं फिच दोनों ने पूर्व में भारत की रेटिंग घटाने की चेतावनी दी थी।
राजकोषीय घाटा बढ़ने की वजह से उनकी ओर से रेटिंग घटाने के प्रति आगाह किया गया था। 2011-12 में राजकोषीय घाटा सकल घरेलू उत्पाद का 5.8 फीसदी रहा था।
सरकार ने हाल में कई सुधारात्मक उपाय किए हैं। प्रत्यक्ष विदेशी निवेश नीति को उदार बनाया गया है, डीजल कीमतों को आंशिक रूप से नियंत्रणमुक्त किया गया है तथा प्रति परिवार एलपीजी सिलेंडरों की सीमा तय की गई है। सब्सिडी बिल को कम करने के लिए सरकार ने ये उपाय किए हैं।