देश को अपनी इस्पात उत्पादन क्षमता को मौजूदा 9 करोड़ टन से बढ़ाकर 2025 तक 30 करोड़ टन सालाना करने के लिए अगले एक दशक में 210 अरब डॉलर के निवेश की जरूरत होगी। सेल के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक सीएस वर्मा ने यह अनुमान व्यक्त किया है।
वर्मा ने शनिवार को एक कार्यक्रम के मौके पर अलग से कहा कि क्षमता विस्तार के लिए धन के प्रवाह को सुनिश्चित करने को इस्पात उद्योग के लिए पावर फाइनेंस कॉरपोरेशन की तर्ज पर एक समर्पित वित्त पोषण एजेंसी की भी जरूरत है। उन्होंने कहा कि इसके अलावा इस लक्ष्य को पाने के लिए बंदरगाह और सड़क के रूप में बड़े बुनियादी ढांचा विस्तार की जरूरत है।
वर्मा ने कहा, मैं इसे एक चुनौतीपूर्ण लक्ष्य के रूप में देखता हूं, लेकिन यह हासिल हो सकता है। 10 लाख टन इस्पात के लिए एक अरब डॉलर के निवेश की जरूरत है। अभी हमारी क्षमता 9 करोड़ टन की है यानी 21 करोड़ टन और क्षमता जोड़नी होगी, जिसके लिए 210 अरब डॉलर के निवेश की जरूरत होगी।
सरकार द्वारा 12वीं पंचवर्षीय योजना (2012-17) के दौरान बुनियादी ढांचा क्षेत्र पर 1,000 अरब डॉलर के निवेश के फैसले पर वर्मा ने कहा कि इस तरह के निवेश से यह लक्ष्य हासिल हो सकता है। उन्होंने कहा कि बिजली क्षेत्र के वित्त पोषण के लिए पावर फाइनेंस कॉरपोरेशन है। इसी तरह, इस्पात क्षेत्र के वित्त पोषण के लिए भी हमें ऐसे ही वित्तीय संस्थान की जरूरत है। हमने सरकार को इस बारे में सुझाव दिया है, जो इस पर विचार कर रही है।