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शेयर बाजार में पांच साल की सबसे बड़ी गिरावट दर्ज

अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारी गिरावट के चलते देश के प्रमुख शेयर बाजारों का हाल बुरा है। आज भारी गिरावट के साथ शेयर बाजार बंद हुए। सेंसेक्स में 854 अंक और निफ्टी में 251 अंकों की गिरावट के बंद हुए। इससे पहले दिन में सेंसेक्स में करीब 900 अंकों की गिरावट दर्ज की गई थी।
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NDTV Profit हिंदी07:02 PM IST, 06 Jan 2015NDTV Profit हिंदी
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देश के शेयर बाजारों में मंगलवार को पिछले लगभग पांच सालों की सबसे बड़ी गिरावट दर्ज की गई। यूनान में राजनीतिक उठापटक और कच्चे तेल के दाम 50 डॉलर प्रति बैरल के नीचे आने से दुनिया भर के पूंजी बाजारों में उथल-पुथल के बीच मुंबई शेयर बाजार का प्रमुख सूचकांक सेंसेक्स 855 अंक लुढ़क गया। बिकवाली के दबाव में नेशनल स्टाक एक्सचेंज के निफ्टी ने भी 251 अंक या 3 फीसदी का गोता लगाया।

स्थानीय बाजारों में तेल एवं गैस, रीयल्टी धातु तथा पूंजीगत वस्तुएं सर्वाधिक प्रभावित हुए। बिजली, उपभोक्ता टिकाऊ, बैंक शेयरों में भी तेज बिकवाली हुई।

वैश्विक स्तर पर कमजोर रुख के साथ तीस शेयरों वाला सेंसेक्स गिरावट के साथ खुला और पूरे दिन दबाव में रहा। यह 854.86 अंक या 3.07 फीसदी लुढ़ककर 27,000 अंक के नीचे 26,987.46 अंक पर बंद हुआ। निफ्टी कारोबार के दौरान एक समय 8,111.35 अंक तक चला गया था, लेकिन बाद में 251.05 अंक या 3.0 फीसदी की गिरावट के साथ 8,127.35 अंक पर बंद हुआ।

सेंसेक्स के 30 शेयरों में ओएनजीसी को सर्वाधिक नुकसान हुआ। इसमें करीब 6 फीसदी की गिरावट आयी। इसके अलावा सेसा स्टरलाइट, टाटा स्टील, एचडीएफसी, रिलायंस इंडस्ट्रीज, भेल, टाटा मोटर्स, आईसीआईसीआई बैंक तथा एसबीआई में 4 से 5 फीसदी की गिरावट आई।

कुल 30 शेयरों में से 29 में गिरावट दर्ज की गई। एकमात्र एचयूएल का शेयर लाभ में रहा। बीएसई में 2,200 शेयरों में गिरावट दर्ज की गई, जबकि 650 लाभ में बंद हुए।

वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल का भाव 49.95 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया। मई 2009 के बाद यह स्तर नहीं देखा गया। ब्रेंट भी 3.31 फीसदी गिरकर 53.30 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया।

बोनांजा पोर्टफोलियो के वरिष्ठ उपाध्यक्ष राकेश गोयल ने कहा, 'बाजार वैश्विक स्तर पर कमजोर रहा। यूनान के यूरो क्षेत्र से बाहर निकलने के कयास तथा तेल कीमतों में गिरावट से भी बाजार धारणा प्रभावित हुई।'

विश्लेषकों के अनुसार ऐसी आशंका है कि यूनान में इस महीने चुनाव से खर्च में कटौती की खिलाफत करने वाला विपक्षी दल सीरिजा सत्ता में आ सकता है। इससे देश में जारी आर्थिक सुधार कार्यक्रम प्रभावित हो सकता है।

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