मुद्रास्फीति बढ़ने और वैश्विक गतिविधियों को देखते हुए रिजर्व बैंक गुरुवार को 2017-18 की पहली द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में यथास्थिति बनाये रख सकता है. रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल ने आठ फरवरी को पिछली मौद्रिक नीति समीक्षा में नीतिगत दर को 6.25 प्रतिशत पर बरकरार रखा था. विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिका में ब्याज दर में वृद्धि इस बात का संकेत है कि रिजर्व बैंक की मानक नीतिगत दर कम नहीं हो जा रही है बल्कि भविष्य में बढ़ सकती है जो घरेलू और बाहरी कारकों पर निर्भर करेगा.
कोटक महिंद्रा बैंक के उपाध्यक्ष उदय कोटक ने इस बाबत कहा, ‘मुझे लगता है कि रिजर्व बैंक आगामी मौद्रिक नीति समीक्षा में प्रमुख नीतिगत दर को बरकरार रखेगा.’ उन्होंने आगे यह भी कहा कि 0.25 प्रतिशत की कमी या बढ़ोतरी उभरती स्थिति पर निर्भर करता है. निजी क्षेत्र के अन्य बैंक प्रमुखों के अनुसार केंद्रीय छह अप्रैल को नीतिगत दर में कोई बदलाव नहीं करेगा.
पटेल ने कहा कि वह नीतिगत दर में बदलाव से पहले मुद्रास्फीति प्रवृत्ति और वृद्धि पर नोटबंदी के प्रभाव को लेकर चीजें स्पष्ट होने का इंतजार करेंगे थोक मुद्रास्फीति फरवरी में 39 महीने के उच्च स्तर 6.55 प्रतिशत रही जबकि खुदरा मुद्रास्फीति बढ़कर 3.65 प्रतिशत पहुंच गयी. खाद्य एवं ईंधन के दाम बढ़ने से महंगाई दर में बढ़ोतरी हुई है. रेटिंग एजेंसी इक्रा के प्रबंध निदेशक नरेश टक्कर ने कहा, ‘हालांकि खुदरा मुद्रास्फीति मार्च 2017 के लक्ष्य से कम रहने की संभावना है, लेकिन हम अप्रैल 2017 में आगामी मौद्रिक नीति समीक्षा में रेपो दर में कटौती की उम्मीद नहीं कर रहे. मौद्रिक नीति समिति का जोर 4 प्रतिशत के मध्यम अवधि के लक्ष्य पर है.’
सिंगापुर का बैंक डीबीएस के एक विश्लेषक ने कहा- रिजर्व बैंक आश्चर्यजनक रूप से तटस्थ रुख की ओर बढ़ा है. अप्रैल की मौद्रिक नीति समीक्षा में नीतिगत दर में कोई बदलाव नहीं होगा. मौद्रिक नीति समिति की सिफारिशों के आधार पर यह चौथी मौद्रिक नीति समीक्षा होगी.
(न्यूज एजेंसी भाषा की रिपोर्ट पर आधारित)