RBI MPC Meet: महंगाई नियंत्रण में, ब्याज दरों का 'पॉज' बटन दबाए रख सकता है RBI

ब्याज दरों को लेकर जहां तक विभिन्न स्थानीय कारकों का संबंध है, उनमें महंगाई के मोर्चे पर पॉजिटिव संकेत हैं. रिटेल महंगाई दर (CPI) अप्रैल 2023 के महीने में पहले ही तेजी से गिरकर 4.7% पर आ चुकी है.

RBI MPC Meet: महंगाई नियंत्रण में, ब्याज दरों का 'पॉज' बटन दबाए रख सकता है RBI

आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास.

नई दिल्ली:

RBI MPC Meet: केंद्रीय बैंक RBI ने बढ़ती ब्याज दरों का 'पॉज' बटन दबा रखा है और आगे भी यही संभावना है कि ब्याज दरों पर RBI का रुख यही रहेगा. CPI और मैन्युफैक्चरिंग PMI से लेकर GDP तक, विभिन्न आंकड़े इस ओर इशारा कर रहे हैं कि महंगाई नियंत्रण में है. हालांकि खतरे के कुछ संकेत अब भी बने हुए हैं और निवेशकों को जरा भी लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए.

CPI, WPI और GDP के आंकड़े मुफीद
ब्याज दरों को लेकर जहां तक विभिन्न स्थानीय कारकों का संबंध है, उनमें महंगाई के मोर्चे पर पॉजिटिव संकेत हैं. रिटेल महंगाई दर (CPI) अप्रैल 2023 के महीने में पहले ही तेजी से गिरकर 4.7% पर आ चुकी है. ये पिछले दो महीनों में RBI की सहज सीमा के तहत रहा है और अप्रैल में तेज गिरावट ने सुरक्षा के मार्जिन को बढ़ा दिया है.

RBI 2% की प्लस या माइनस रेंज के साथ 4% महंगाई लक्ष्य के साथ सहज है और इसलिए ये आंकड़ा अब कंफर्ट सीमा के भीतर है.

दूसरा फैक्टर है- GDP. जनवरी-मार्च 2023 की तिमाही के लिए GDP के आंकड़े के अनुसार देश के आर्थिक विकास में तेजी आई है और इसका आंकड़ा 6.1% पर आ गया है, जो कि अर्थशास्त्रियों के अनुमानों से अधिक है. यहां तक कि थोक मूल्य सूचकांक (WPI) भी पॉजिटिव है. यहां भी कीमतों में अचानक वृद्धि नहीं हुई है.

तेल के मोर्चे पर भी अच्छी खबर
महंगाई को प्रभावित करने वाले प्रमुख वजहों में से एक कमोडिटी है- तेल की लागत. इस मोर्चे पर भी अच्छी खबर है क्योंकि तेल की कीमत में धीरे-धीरे गिरावट आ रही है, जिसने विभिन्न मोर्चों पर यहां ऊंची कीमतों के कारण महसूस किए जा रहे दबाव को कम कर दिया है.

यहां तक कि चीन के फिर से खुलने की कहानी भी उम्मीद के मुताबिक नहीं चल रही है और कई विकसित इकोनॉमी वाले देशों में मंदी की चिंता के बावजूद यहां विभिन्न वस्तुओं, विशेष रूप से धातुओं की कीमत कम हो रही है. ये देश में महंगाई को नियंत्रित करने में एक बड़ी मदद होगी.

US-FED एक्शन
अमेरिकी फेडरल रिजर्व की कार्रवाई हालांकि चिंता का विषय बनी हुई है. अमेरिकी इकोनॉमी, महंगाई के कुछ हालिया संकेतकों के साथ एक बार फिर से बढ़ोतरी को लेकर मिश्रित संकेत दिखा रही है. ये इस उम्मीद में एक अहम बिंदु साबित हो सकता है कि अमेरिकी महंगाई धीरे-धीरे कम हो जाएगी और ये फेडरल रिजर्व को कुछ समय बाद दरों में कटौती करने की अनुमति देगा.

मई 2023 में देखे गए उच्च आंकड़े सहित अपेक्षाओं से अधिक काम पर रखने के साथ ही लेबर मार्केट में तेजी बनी हुई है, भारतीय रुपये पर पड़ने वाले अधिक दरों के प्रभाव को देखते हुए RBI के लिए एक समस्या पेश कर सकती है.

मॉनसून की चिंता
अन्य स्थानीय कारण, जो RBI को ब्याज दर के मोर्चे पर आगे बढ़ने में समस्या पैदा कर सकता है, वो मॉनसून का व्यवहार है. देर से शुरू होने या पूरे मौसम में असमान्य बारिश से खाद्य कीमतों पर प्रभाव पड़ सकता है जो फिर से महंगाई बढ़ा सकता है.

ये RBI को ब्याज दरों पर लगा ब्रेक रोके रखने और कुछ सुधारात्मक कार्रवाई करने के लिए प्रेरित कर सकता है. हालांकि इस मोर्चे पर परिणाम अभी निश्चित नहीं है और इसलिए मॉनसून के अगले कुछ महीने महत्वपूर्ण हैं.

ब्याज दरें बढ़ने की संभावना बेहद कम
कुल मिलाकर स्थिति ये है कि भारत में ब्याज दरों की बढ़ोतरी के जोखिम भले ही बने हुए हैं, लेकिन इसके ऊपर की ओर बढ़ने की संभावना नहीं है.

Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com

तमाम स्थितियां RBI को ब्याज दरों पर विराम लगाने की अनुमति देंगी और कुछ समय के लिए ये रुख बरकरार रह सकता है कि ब्याज दर के मोर्चे पर स्थिरता बनी रहे.