रेटिंग एजेंसी फिच (Fitch Ratings) ने मंगलवार को कहा कि पेट्रोलियम कंपनियों (Petroleum Companies) पर लगाया गया विंडफॉल प्रॉफिट टैक्स (Windfall Profit Tax) 2023 को कच्चे तेल के दामों में नरमी के बाद चरणबद्ध तरीके से खत्म कर दिया जाएगा. यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद ऊर्जा के दामों में वैश्विक स्तर पर हुई बढ़ोतरी से पेट्रोलियम कंपनियों को अप्रत्याशित लाभ हुआ है. जिसको देखते हुए सरकार ने एक जुलाई से इन कंपनियों के उस लाभ पर नया टैक्स लगाने का ऐलान किया है. यह टैक्स घरेलू स्तर पर उत्पादित कच्चे तेल के साथ-साथ पेट्रोल (Petrol), डीजल (Diesel) और जेट फ्यूल एटीएफ (ATF) के निर्यात पर भी लगाया गया था.
आपको बता दें कि अंतरराष्ट्रीय कीमतों के हिसाब से टैक्स की दरों में हर पखवाड़े संशोधित किया जाता है. हालांकि, पेट्रोल के निर्यात पर लगने वाला टैक्स खत्म कर दिया गया है.
एजेंसी ने 'APAC ऑयल एंड गैस आउटलुक 2023' में कहा, ‘‘हमारा ऐसा मानना है कि सरकार ने 2022 में घरेलू कच्चे तेल के उत्पादन पर जो विंडफॉल टैक्स (Windfall Tax) लगाया है, वह कीमतों में नरमी आने के साथ ही 2023 में धीरे-धीरे खत्म कर दिया जाएगा.'' वहीं, फिच ने अनुमान जताया कि ब्रेंट कच्चे तेल के दाम 85 डॉलर प्रति बैरल हो जाएंगे, जो 2022 में 100 डॉलर प्रति बैरल थे. इसके साथ ही फिच ने आगे कहा, ‘‘हमें उम्मीद है कि पेट्रोलियम विपणन कंपनियों के मार्जिन में सुधार आएगा और 2022 में हुए घाटे की कुछ भरपाई हो सकेगी.''
देश में पेट्रोल और डीजल के दाम करीब आठ महीने से ज्यादा समय से स्थिर बने हुए हैं. आखिरी बार 6 अप्रैल 2022 को पेट्रोल और डीजल के दाम में 80-80 पैसे प्रति लीटर की वृद्धि की गई थी. तेल के दाम लंबे समय से स्थिर रहने से सरकारी तेल कंपनियों को भारी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है. एक रिपोर्ट के मुताबिक, चालू वित्त वर्ष के अप्रैल-सितंबर तिमाही के दौरान इंडियन ऑयल कॉरपोरशन (IOL), भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (BPCL) और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (HPCL) को सामूहिक रूप से 21,201.18 करोड़ रुपये का नुकसान झेलना पड़ा है.