इंफोसिस ने अपने मुख्य परिचालन अधिकारी (सीओओ) यूबी प्रवीण राव के वेतन में वृद्धि का पूरी तरह बचाव करते हुए सोमवार को कहा कि यह इस क्षेत्र की अन्य कंपनियों में लागू मानकों के अनुसार तय किया गया. इंफोसिस ने कहा कि कुछ वरिष्ठ अधिकारियों के वेतन में वृद्धि का मकसद कंपनी को अधिक प्रतिस्पर्धी बनाना है और यह महत्वपूर्ण प्रतिभाओं को जोड़े रखने के लिहाज से बहुत मायने रखता है.
उल्लेखनीय है कि कंपनी के सह संस्थापक व पूर्व चेयरमैन एन आर नारायणमूर्ति ने इस वृद्धि पर आपत्ति जताई थी. नारायमूर्ति ने इस वृद्धि को इंफोसिस के ज्यादातर कर्मचारियों के लिहाज से ‘पूरी तरह अनुचित’ करार दिया है जिनकी सालाना वेतन वृद्धि 6-8 प्रतिशत रहती है. गौरतलब है कि कंपनी के संस्थापकों व प्रबंधन के बीच दो महीने पहले ही सीईओ के वेतन व पैकेज में वृद्धि को लेकर खासा बवाल हुआ था.
कंपनी ने इस बारे में एक बयान में कहा है कि वह नारायमूर्ति के बयान को ‘महत्वपूर्ण परामर्श’ के रूप में देखती है और कंपनी के दीर्घकालिक हित सुनिश्चित करने के लिए सभी भागीदारों के साथ मिलकर काम करती रहेगी. कंपनी ने राव के वेतन भत्तों में 33 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि का बचाव किया है और कहा कि नकदी हिस्सा 5.2 करोड़ रुपये से घटकर 4.6 करोड़ रुपये रह गया है.
केवल निष्पादन आधारित मद में भुगतान को 45 प्रतिशत से बढ़ाकर 63 प्रतिशत किया गया है. कंपनी का कहना है कि राव को देय शेयरों की चार साल की ‘अधिकार अवधि’ के लिहाज से 2017-18 के लिए वृद्धि केवल 1.4 प्रतिशत है.