मध्यस्थता और मुकदमेबाजी में फंसी हजारों करोड़ रुपये की राशि को ‘मुक्त' कराने के लिए सरकार एक योजना पर परिचर्चा पत्र लेकर आएगी. वित्त सचिव टी वी सोमनाथन ने यह जानकारी दी. इस योजना में बताया जाएगा कि अनुबंध संबंधी विवादों के शीघ्र समाधान के लिए कितने प्रतिशत का भुगतान करने की जरूरत होगी.
शुरुआत में वित्त मंत्रालय के तहत व्यय विभाग अन्य नियमों और शर्तों के अलावा अनुबंध संबंधी विवादों को निपटाने के लिए प्रस्तावित प्रतिशत की मात्रा पर हितधारकों से सुझाव मांगेगा. इस योजना के तहत सरकारी अनुबंधों से संबंधित वे विवाद आएंगे जो फिलहाल मध्यस्थता या मुकदमेबाजी में फंसे हैं. हालांकि, यह योजना स्वैच्छिक होगी, लेकिन ठेकेदार अनुबंध मूल्य के एक निर्दिष्ट प्रतिशत को स्वीकार कर विवादों के समाधान के लिए आगे आ सकते हैं.
सोमनाथन ने कहा कि प्रतिशत को अलग से अधिसूचित किया जाएगा और यह ‘उचित' होगा ताकि बहुत से लोग इसके लिए आगे आएं. उन्होंने कहा कि अगर वे इस प्रतिशत को स्वीकार करते हैं, तो विवाद का निपटान हो जाएगा और दोनों पक्षों द्वारा मामले को वापस ले लिया जाएगा.
वित्त मंत्रालय के शीर्ष नौकरशाह ने कहा कि यह योजना स्वच्छ और पारदर्शी होगी और किसी अधिकारी के पास विवाद के समाधान के लिए ‘अधिकार' नहीं होगा. उन्होंने कहा कि प्रस्ताव को स्वीकार या अस्वीकार करना कंपनी पर निर्भर करेगा. इसके लिए किसी पर कोई बाध्यता नहीं होगी.
सोमनाथन ने कहा, ‘‘यदि वे मुकदमेबाजी को जारी रखना चाहते हैं तो जारी रख सकते हैं. यदि वे मामले को बंद करना चाहते हैं, तो नकदी लेकर आगे बढ़ सकते हैं. ''
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने 2023-24 के बजट भाषण में घोषणा की कि अनुबंध संबंधी विवादों के निपटान के लिए मानकीकृत शर्तों के साथ स्वैच्छिक समाधान योजना लाई जाएगी.
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