भारतीय बाजारों के प्रति भरोसा जताते हुए विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने 2013 में शेयरों में 1.10 लाख करोड़ रुपये यानी करीब 20 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक का निवेश किया है। इस तरह देश में एफआईआई का कुल निवेश 150 अरब डॉलर के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है।
इस साल एफआईआई निवेश के आंकड़े 2012 के 1.3 लाख करोड़ रुपये (24 अरब डॉलर) के आंकड़े को पार कर सकता है, क्योंकि अभी चालू कैलेंडर साल में अभी कुछ दिन और बचे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि 2014 में एफआईआई का प्रवाह और बढ़ सकता है, क्योंकि विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद केंद्र में भाजपा की अगुवाई वाली सरकार आने की संभावना बढ़ी है।
सकल स्तर पर एफआईआई ने 2013 में कुल 7.8 लाख करोड़ रुपये के शेयर खरीदे व उन्होंने 6.7 लाख करोड़ रुपये के शेयर बेचे। इस तरह से उनका शुद्ध निवेश 1,10,792 करोड़ रुपये या 19.7 अरब डॉलर रहा है। यह लगातार दूसरा साल है जबकि शेयर बाजार में एफआईआई का निवेश बढ़ा है। 2011 में विदेशी निवेशकों ने शेयर बाजारों से 2,714 करोड़ रुपये (35.8 करोड़ डॉलर) निकाले थे।
शेयरों में विदेशी निवेश का प्रवाह ऐसे समय बढ़ा है जबकि देश में पंजीकृत एफआईआई की संख्या घटकर 1,742 रह गई है, जो 2012 के अंत तक 1,759 थी। कई बाजार विश्लेषकों का मानना है कि भाजपा की अगुवाई वाली सरकार अधिक सुधार लाएगी और आर्थिक वृद्धि को प्रोत्साहन वाले कदम उठाएगी। डेस्टीमनी सिक्योरिटीज के प्रबंध निदेशक व सीईओ सुदीप बंध्योपाध्याय ने कहा, 'प्रोत्साहन कटौती के फेडरल रिजर्व के फैसले के बावजूद 2014 में एफआईआई भारतीय शेयरों में निवेश बढ़ाएंगे।'
शेयर बाजार के इतिहास में यह तीसरी बार है जबकि एक साल में एफआईआई का शुद्ध प्रवाह एक लाख करोड़ रुपये के आंकड़े के पार गया है। विश्लेषकों को अगले साल को लेकर भी काफी उम्मीद है। 2010 में विदेशी निवेशकों ने शेयर बाजार में 1.33 लाख करोड़ रुपये यानी 29 अरब डॉलर का शुद्ध निवेश किया था।
हालांकि, 2013 में विदेशी निवेशक ऋण बाजार से दूर रहे और उन्होंने रपये में कमजोरी के बीच शुद्ध रूप से इस खंड में 51,000 करोड़ रुपये या 8 अरब डॉलर की निकासी की। 2012 में विदेशी निवेशकों ने ऋण प्रतिभूतियों में करीब 35,000 करोड़ रुपये या 6.64 अरब डॉलर का निवेश किया था।