यूरोप-भारत चैंबर ऑफ कॉमर्स (ईआईसीसी) ने मंगलवार को ईयू के उसे फैसले की निंदा की है, जिसमें भारत के अलफोंसो आमों और चार सब्जियों के आयात पर 1 मई से प्रतिबंध लगाया गया है।
ईआईसीसी के महासचिव सुनील प्रसाद ने कहा कि यूरोप को भारतीय आमों और सब्जियों का आयात शताब्दियों से किया जा रहा है। इन पर प्रतिबंध लगाकर यूरोपीय संघ ने नीतिगत फैसलों में अपनी अपरिपक्वता दिखाई है।
प्रसाद ने कहा कि अफ्रीका और एशिया में ऐसे कई देश हैं जहां आयातित आमों की खेती और पैकेजिंग प्रक्रिया भारत से बदतर है। उन्होंने कहा, अकेले भारत पर प्रतिबंध लगाकर ईयू ने मुक्त व्यापार समझौते पर चल रही वार्ता के प्रति निरादर और असंतुलित रवैया दिखाया है।
प्रसाद ने कहा कि भारत में नई सरकार के लिए चुनाव प्रक्रिया चल रही है। ईयू को कुछ हफ्ते और इंतजार करना चाहिए था और इस मामले में नई सरकार के साथ बातचीत करनी चाहिए थी।
गौरतलब है कि पौध स्वास्थ्य पर ईयू की स्थायी समिति ने हाल ही में कहा था कि इसने 2013 में भारत से ईयू में आयात किए गए फलों और सब्जियों की 207 खेपों को फलमक्ख्यिों और कीटों से दूषित पाया।
ईयू ने आम, बैंगन, अरबी, करेला और चिचिंडा जैसे फलों और सब्जियों पर प्रतिबंध लगाया है।
प्रसाद ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि ईयू अपने फैसले पर फिर से विचार करेगा और अनुकूल माहौल बनाएगा ताकि नई सरकार से द्विपक्षीय व्यापार के मुद्दों पर चर्चा की जा सके।