ADVERTISEMENT

आर्थिक विकास को पर्यावरण की दृष्टि से संतुलित रखना जरूरी : प्रधानमंत्री

मनमोहन सिंह ने इस बात पर अफसोस जताया कि प्राय: आर्थिक वृद्धि के लिए बनाई जाने वाली नीतियों को पर्यावरण पर उसके प्रभाव के बारे में ध्यान दिए बिना ही लागू कर दिया जाता है।
NDTV Profit हिंदीNDTV Profit Desk
NDTV Profit हिंदी03:28 PM IST, 05 Apr 2013NDTV Profit हिंदी
NDTV Profit हिंदी
NDTV Profit हिंदी
Follow us on Google NewsNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदी

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने पर्यावरण अपक्षय के गंभीर परिणामों के प्रति आगाह करते हुए इस बात पर जोर दिया कि आर्थिक वृद्धि प्राकृतिक संसाधनों के अनुकूलतम उपयोग पर आधारित होनी चाहिए और साथ ही विकास को पर्यावरण की दृष्टि से सतुलित रखा जाना चाहिए।

मनमोहन सिंह ने इस बात पर अफसोस जताया कि प्राय: आर्थिक वृद्धि के लिए बनाई जाने वाली नीतियों को पर्यावरण पर उसके प्रभाव के बारे में ध्यान दिए बिना ही लागू कर दिया जाता है। इसके पीछे शायद यह सोच काम करती है कि पर्यावरणीय प्रभावों का समाधान अपने आप हो जाएगा या उसकी चिंता अलग से की जा सकती है।

प्रधानमंत्री ने भारत के लिए राष्ट्रीय पर्यावरणी अंकेक्षण पर एक अंतरराष्ट्रीय कार्यशाला का उद्घाटान करते हुए यह बात कही। मनमोहन सिंह ने कहा कि नियोजित आर्थिक विकास के प्रति भारत की प्रतिबद्धता लोगों की आर्थिक स्थिति में सुधार के प्रति सरकार की दृढ इच्छाशक्ति प्रतिबिंबित करती है। यह विभिन्न सामाजिक, आर्थिक तथा संस्थागत पहल के जरिये लोगों की आर्थिक स्थिति में सुधार लाने की सरकार की भूमिका की भी पुष्टि करती है।

उन्होंने कहा, लेकिन जब अर्थव्यवस्था में तेजी से वृद्धि की क्षमता विकसित होती है, तो कई नई चुनौतियां भी आती हैं। मसलन प्राकृतिक संसाधन सीमित है और उन्हें नहीं बढ़ाया जा सकता है... हमें आर्थिक वृद्धि तथा सतत विकास के नजरिये से यह निर्णय करना है कि दुर्लभतम संसाधनों का कैसे अनुकूलतम उपयोग होगा।

प्रधानमंत्री के अनुसार कई ऐसे प्रमाण हैं, जो बतातें है कि ऐसी नीतियों की वजह से कुल मिलाकर मानव कल्याण घट भी सकता है। उन्होंने कहा कि विश्वस्तर पर पर्यावरण अपक्षय का प्रभाव उपजाऊ मृदा के क्षरण, मरूस्थलीकरण, वन क्षेत्र के संकुचन, मृदु जल की उपलब्धता में कमी तथा जैव-विविधता के नुकसान के रूप में साफ दिखाई देता है। सिंह ने कहा, ये गंभीर परिणाम हैं और यह आज साफ हो गया है कि आर्थिक विकास निश्चित रूप से पर्यावरण अनुकूल होना चाहिए।

NDTV Profit हिंदी
लेखकNDTV Profit Desk
NDTV Profit हिंदी
फॉलो करें
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT