विश्व के सबसे बड़ा निर्यातक चीन, भारत से अपने आयात में बड़ी मात्रा में वृद्धि करने पर विचार कर रहा है। इसके साथ ही भारत और चीन के बीच व्यापार घाटे में कुछ सुधार होने की उम्मीदें जागी हैं। चीन ऐसा विश्व अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहित करने के लिए कर रहा है।
चीन के व्यापार विकास ब्यूरो के उपमहानिदेशक जीया गूओयोंग ने दिए साक्षात्कार में कहा, "चीन आयात प्रक्रिया को सुविधाजनक बनाने के लिए नई नीतियां अपना रहा है। इसके बाद गैर शुल्कीय बाधाओं को हटाया जाएगा, आयात प्रबंधन उपायों को सहज बनाया जाएगा और आयात प्रक्रिया को छोटा किया जाएगा।"
पिछले सप्ताह ही जीया 50 व्यापारियों के प्रतिनिधिमंडल के साथ भारत दौरे पर थे। इस प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों ने अनेक भारतीय कंपनियों के साथ आयात के लिए 15 सहमति समझौतों पर हस्ताक्षर किए थे। इन समझौतों के तहत भारत से चीन को 33 करोड़ डॉलर का अतिरिक्त निर्यात किया जाएगा।
इसी वर्ष इससे पहले चीन के प्रधानमंत्री ली केकियांग की भारत यात्रा के फलस्वरूप ही यह प्रतिनिधिमंडल भारत आया था।
जीया ने बुधवार को कहा कि वैश्विक आर्थिक मंदी को देखते हुए चीन अपने आयात में बढ़ोतरी करने का प्रयास कर रहा है, जिससे देशों को मदद मिलेगी।
जीया ने कहा, "निर्यात से जहां सीधे धन का उत्पादन होता है, वहीं आयात से दीर्घकालिक हित सधते हैं, औद्योगिकरण को बढ़ावा मिलता है और आयात निर्यात के समान ही महत्वपूर्ण होता है।"
पिछले वित्त वर्ष में चीन के साथ भारत का व्यापार घाटा 39 अरब डॉलर के करीब था, जिसके बारे में भारतीय अधिकारियों ने कहा था कि यह लंबे समय तक नहीं चल सकता है।
भारत से चीन को 2012-13 में होने वाला निर्यात 13.53 अरब डॉलर है, जबकि इसी अवधि में चीन से भारत को होने वाले आयात 52.24 अरब डॉलर का है।
चीन ने भारत से आयात बढ़ाने के लिए अपनाए गए उपायों में चीनी व्यापारिक प्रतिनिधिमंडलों को लगातार विदेशी खरीद बढ़ाने के लिए प्रेरित करना है।
चीन के अधिकांश निर्यातक कच्चा माल एवं अर्ध निर्मित उत्पादों का आयात कर अंतिम उत्पादों को विदेशी बाजारों के लिए तैयार करते हैं।
जीया ने कहा, "अब हम घरेलू बाजारों की संतुष्टि के लिए और अधिक उपभोक्ता उत्पादों का आयात कर सकेंगे। ऐसा नहीं है कि हमें इन उत्पादों को पहले आयात करने की जरूरत नहीं थी, लेकिन अब हमारे पास उन उत्पादों को आयात करने के लिए पहले से अधिक धन और सुविधाएं हैं, जिसकी पहले कमी थी।"