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मौद्रिक नीति समीक्षा से पहले जेटली बोले- ऊंची ब्याज दर से अर्थव्यवस्था सुस्त पड़ सकती है

भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समीक्षा से एक दिन पहले वित्त मंत्री अरुण जेटली ने देश में इस समय सस्ती ब्याज दर नीति की जरूरत पर जोर देते हुए आज कहा कि ऊंची ब्याज दरों से अर्थव्यवस्था सुस्त पड़ सकती है।
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NDTV Profit हिंदी04:10 PM IST, 04 Apr 2016NDTV Profit हिंदी
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भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समीक्षा से एक दिन पहले वित्त मंत्री अरुण जेटली ने देश में इस समय सस्ती ब्याज दर नीति की जरूरत पर जोर देते हुए आज कहा कि ऊंची ब्याज दरों से अर्थव्यवस्था सुस्त पड़ सकती है। जेटली यहां उद्योग मंडल सीआईआई के सालाना अधिवेशन को संबोधित कर रहे थे।

उन्होंने कहा, सरकार राजकोषीय घाटा कम करने को लेकर अपनी प्रतिबद्धताओं पर टिकी हुई है और मुद्रास्फीति नियंत्रण में है। इस तरह से मुझे उम्मीद है कि यह रकम बना रहेगा ताकि अधिक प्रतिस्पर्धी ब्याज दरों के साथ हमारी अर्थव्यवस्था और अधिक प्रतिस्पर्धी बन सके। उल्लेखनीय है कि वित्त वर्ष 2016-17 के लिए भारतीय रिजर्व बैंक की पहली मौद्रिक नीति समीक्षा कल होगी।

वित्त मंत्री ने कहा कि भारत में ब्याज दरों जैसे महत्वपूर्ण आर्थिक मुद्दों पर बहस सही दिशा में आगे बढ़नी चाहिए क्योंकि भारत एक ‘विशाल व हंगामेदार लोकतंत्र’ है।

जेटली ने कहा, उदाहरण के लिए कुछ राजनीतिक समूहों के उस दृष्टिकोण को लीजिए जो ऊंची ब्याज दर व्यवस्था का समर्थन कर रहे हैं जबकि इससे हमारी अर्थव्यवस्था सुस्त पड़ सकती है। वित्त मंत्री ने कहा कि भारत जैसे बड़े और हंगामेदार लोकतांत्रिक देश में कई समस्याएं हैं। ऐसे में सरकार और उद्योग जैसी संस्थाओं के लिए यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि बहस की दिशा सही हो। वित्त मंत्री ने कहा कि बहस में परिपक्वता दिखनी जरूरी है।

सावधि जमाओं पर ब्याज दर में कमी किए जाने से ब्याज से आय पर निर्भर सेवानिवृत्त लोगों के प्रभावित होने के बारे में जेटली ने कहा कि इस मुद्दे को पेंशन फंड योजनाओं से हल किया जा सकता है क्योंकि इन योजनाओं पर प्रतिफल सबसे अच्छा है।

उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय पेंशन योजना में निवेशकों को आकर्षक लाभ मिल रहा है। ऐसे में लोगों को ऐसी निवेश योजनाओं पर विचार करना चाहिए। जेटली ने कहा कि अर्थव्यवस्था को और अधिक प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए दीर्घावधि में जमा और ऋण पर ब्याज दरों को नीचे लाना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि पिछले एक साल से ब्याज दरों में गिरावट आ रही है।

गौरतलब है कि सरकार राजकोषीय घाटे को सीमित रखने की मध्यावधिक योजना पर कायम है और उसने चालू वित्त वर्ष में इसे सकल घरेलू उत्पाद के 3.5 प्रतिशत तक सीमित रखने के लक्ष्य को बनाए रखा है। अनुमान है कि वित्त वर्ष 2015-16 में यह 3.9 प्रतिशत के बजटीय लक्ष्य से कम रहेगा।

मुद्रास्फीति भी नरम चल रही है और पिछले 16 महीनों से थोक मुद्रा स्फीति शूान्य से नीचे चल रही है और खुदरा मुद्रास्फीति भी 5-6 प्रतिशत के दायरे में बनी हुई है।

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