सरकारी एयरलाइन एयर इंडिया (Air India) को बेचने के लिए टाटा संस के साथ डील करने के बाद केंद्र सरकार अब इसके आगे की प्रक्रियाओं में लगी हुई है. अब इसका बहीखाता और दूसरे हिसाब-किताब का लेखा-जोखा करना होगा, ऐसे में सरकार ने बुधवार को सभी मंत्रालयों और विभागों को कुछ निर्देश दिए हैं. सरकार ने कहा है कि मंत्रालय और विभाग कर्ज में डूबी एयर इंडिया का बकाया तुरंत चुकाएं और अब से केवल नकद में ही टिकट खरीदें. दरअसल, सरकारी अधिकारी जब सरकारी एयरलाइन से सवारी करते हैं, तो उनके लिए टिकट का हिसाब रख लिया जाता है, टिकट ऋण सुविधा पर खरीद ली जाती हैं, लेकिन सरकार के नए निर्देश का मतलब है कि अब मंत्रालयों और विभागों को अपने अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए एयर इंडिया से कैश देकर टिकट खरीदना होगा और जो पिछला हिसाब-किताब बचा है उसे तुरंत दुरुस्त करना होगा.
वित्त मंत्रालय के तहत व्यय विभाग ने 2009 के एक आदेश में कहा था कि एलटीसी सहित हवाई यात्रा (घरेलू और अंतरराष्ट्रीय दोनों) के मामलों में, जहां भारत सरकार हवाई मार्ग की लागत वहन करती है, अधिकारी केवल एयर इंडिया से यात्रा कर सकते हैं. व्यय विभाग ने कहा कि एयर इंडिया और एयर इंडिया एक्सप्रेस के विनिवेश की प्रक्रिया जारी है, और एयरलाइन ने हवाई टिकटों के लिए ऋण सुविधाएं बंद कर दी हैं.
विभाग ने एक कार्यालय ज्ञापन में कहा, ‘...इसलिए, सभी मंत्रालयों/विभागों को एयर इंडिया का बकाया तुरंत चुकाने का निर्देश दिया जाता है. अगले निर्देश तक एयर इंडिया से हवाई टिकट नकद में खरीदें.'
सरकार ने इस महीने की शुरुआत में एयर इंडिया को टाटा समूह की होल्डिंग कंपनी टैलेस प्राइवेट लिमिटेड को 18,000 करोड़ रुपये में बेचने का फैसला किया है. करीब 70 साल बाद एयर इंडिया का कंट्रोल फिर से टाटा समूह के हाथ में आ गया है.. हालांकि, कर्ज के तले दबी एयर इंडिया को फिर से पटरी पर लाने के लिए काफी कोशिश की जरूरत होगी. एयर इंडिया के लिए बोली का आरक्षित मूल्य 12,906 करोड़ रुपये रखा के आरक्षित मूल्य से अधिक है.
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