सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों को उत्तर प्रदेश में लागू करने के प्रस्ताव पर यूपी मंत्रिमंडल ने मंगलवार को अपनी मुहर लगा दी. मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों को एक जनवरी से लागू करने की बात कहते हुए दावा भी किया कि ‘‘आने वाले समय में यही लोग, जिन्हें सरकार ने लाभ पहुंचाया वे बहुमत की सरकार बनाएंगे.’’ ऐसे में प्रदेश की सपा सरकार का राज्य के सरकारी कर्मचारियों के लिए वेतन आयोग को लागू करने का फैसला चुनावी बाण माना जा रहा है.
7वें वेतन आयोग की जिन सिफारिशों को लागू किया जा रहा है, वे 1 जनवरी 2017 से लागू की जाएंगी. इस बाबत गठित की गई समिति ने न्यूनतम वेतन (चतुर्थ वर्गीय कर्मचारियों के लिए) 18,000 रुपये और मुख्य सचिव के वेतन 2.25 लाख रुपये करने की अनुशंसा की है. बकाया राशि का भुगतान चरणबद्ध ढंग से किश्तों में किया जाएगा. यूपी में सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू होने के साथ ही इसका सीधा सा सकारात्मक असर 16 लाख कर्मचारियों और 6 लाख पेंशनधारियों को लाभ मिलेगा.
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एक अधिकारी ने कहा, "मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की अध्यक्षता में राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में यह निर्णय किया गया कि 21 दिसंबर से शुरू होने वाले विधानसभा के शीतकालीन सत्र में एक लेखानुदान विधेयक लाया जाएगा." वहीं, एक सरकारी प्रवक्ता के अनुसार, सातवें वेतन आयोग की अनुशंसाओं के अध्ययन के लिए एक अवकाश प्राप्त आईएएस अधिकारी जीबी पटनायक की अध्यक्षता में एक समिति बनाई गई थी और समिति ने पिछले ही सप्ताह अपनी रिपोर्ट मुख्यमंत्री यादव को सौंपी थी. इस रिपोर्ट में समिति ने राज्य सरकार के कर्मचारियों की वेतन संरचना केंद्रीय कर्मचारियों के समान करने की अनुशंसा की है.
यह चुनावी बाण हो या नहीं, लेकिन यह तय है कि इस फैसले से फायदा आम जन को ही होगा. मोटा मोटी अनुमान लगाए जा रहे हैं कि सिफारिशों के लागू होने के साथ ही सरकारी कर्मचारियों की सैलरी में 15-20 प्रतिशत की बढ़ोतरी हो सकती है. बता दें कि यूपी में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं.
(एजेंसियों से भी इनपुट)