भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने 2000 रुपये के नोटों को चलन से बाहर करने का ऐलान शुक्रवार की शाम को कर दिया था. साथ ही आरबीआई ने यह भी कहा था कि आज 23 मई से नोटों को बदलने की प्रक्रिया चालू हो जाएगी. जिन लोगों के पास में 2000 रुपये के नोट हैं वे किसी भी बैंक की ब्रांच में जाकर अपने पास मौजूद इन नोटों को आसानी से बदलवा सकते हैं. आरबीआई ने साफ किया है कि इसके लिए लिए कोई फॉर्म भरने (Requisition Slip) भरने की जरूरत नहीं है और ना ही किसी तरह का कोई पहचान पत्र मांगा जाएगा. एक बार में एक ग्राहक 2000 रुपये के 10 नोट बदल सकते हैं.
यह अलग बात है कि इस बार नोटबंदी नहीं है. आरबीआई ने 2000 रुपये के नोट के चलन पर रोक लगाने के इरादे से एक समय सीमा तय कर दी है. आरबीआई ने 30 सितंबर की तारीख को तय किया है और यह भी साफ किया है कि 2000 के नोट लीगल टेंडर बने रहेंगे. तमाम लोगों के दिमाग में सवाल चल रहा है कि आखिर आरबीआई 2000 के नोट क्यों लाई थी और फिर अब क्यों हटा रही है. इस सवाल का जवाब आरबीआई गवर्नर ने दिया. उन्होंने बताया कि 2016 में नोटबंदी के बाद बाजार में नोटों की कमी को पूरा करने के इरादे ऐसा कदम उठाया गया था. जल्द से जल्द प्रचुर मात्रा में मुद्रा को अर्थव्यवस्था में डालने के लिए ऐसा कदम उठाया गया था. उस समय 500 और 1000 के नोट हटाए गए थे. बाजार से नकदी गायब हो गई थी और बाजार के सुचारू संचालन के लिए यह जरूरी हो गया था.
अब बाजार से नोटों को हटाए जाने के सवाल पर शक्तिकांत दास ने कहा कि 2000 रुपये के नोट हायर वैल्यू ऑफ करेंसी थी. 500 और 1000 रुपये के हटने के बाद से जल्द से जल्द अर्थव्यवस्था और बैंकिंग व्यवस्था के बेहतर प्रबंधन के लिए यह जरूरी था कि मुद्रा की तरलता जल्द से जल्द सामान्य कर दी जाए. ऐसा होने के बाद देखा गया कि धीरे-धीरे इसका सर्कुलेशन 50 प्रतिशत से नीचे आ गया. इसकी प्रिंटिंग रोक दी गई थी. उन्होंने कहा कि इन 2000 रुपये के नोटों का लाइफ साइकिल भी पूरा हो चुका था. इसलिए बेहतर करेंसी प्रबंधन के लिए अब ऐसा निर्णय लिया गया है.