जीनत अमान भारतीय सिनेमा की वह एक्ट्रेस हैं जिन्होंने 1970 के दशक में हीरोइन की परिभाषा ही बदल दी. 19 नवंबर 1951 को जन्मीं जीनत ने कभी खुद को ट्रेडिश्नल ब्यूटी स्टैंडर्डस में नहीं बांधा. लंबा कद, गोरा रंग, बड़ी-बड़ी आंखें और बेबाक अंदाज – वे स्क्रीन पर एक तूफान की तरह आई थीं. 1970 में महज 19 साल की उम्र में द एविल विदिन और 1971 में ‘हंगामा' और ‘हलचल' से शुरुआत करने के बाद उन्हें असली पहचान मिली राज कपूर की ‘सत्यम शिवम सुंदरम' (1978) से. इस फिल्म में उन्होंने रूपा का किरदार निभाया. फिल्म विवादों में घिरी, लेकिन जीनत की खूबसूरती और हिम्मत ने दर्शकों को दीवाना बना दिया.

द एविल विदइन में जीनत अमान
इसके बाद ‘दोस्ताना', ‘लॉ ऑफ लव', ‘इंसाफ का तराजू' जैसी फिल्मों में उन्होंने ऐसे किरदार निभाए जो उस जमाने में कोई लीड एक्ट्रेस करने से हिचकती थी. ‘हरे रामा हरे कृष्णा' (1971) में जैस्मीन का रोल तो आज भी याद किया जाता है. “दम मारो दम” गाना और हिप्पी लुक ने उन्हें रातोंरात स्टार बना दिया. देव आनंद की खोज जीनत ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. ‘कुर्बानी' में शहजादी का ग्लैमरस अवतार, ‘धुंध' में सिगरेट पीती हीरोइन, ‘यादों की बारात' में डिस्को डांसर – हर रूप में वे अलग थीं.
80 के दशक में डिंपल कपाड़िया और श्रीदेवी के आने के बाद भी जीनत का जलवा बरकरार रहा. उन्होंने ग्लैमर और एक्टिंग का ऐसा तगड़ा जॉइंट पेश किया जो पहले नहीं देखा गया था. पर्सनल लाइफ में भी वे बेबाक रहीं – मजहर खान से शादी, फिर अकेले बेटों की परवरिश, फिर सोशल मीडिया पर दूसरी पारी.
आज 74 साल की उम्र में भी इंस्टाग्राम पर वे लाखों यंग लोगों के लिए इंस्पिरेशन हैं. जीनत अमान सिर्फ एक एक्ट्रेस नहीं, एक क्रांति थीं जिसने औरत को बोल्ड, बिंदास और बेफिक्र होने का हक दिया. बॉलीवुड में उनका नाम हमेशा स्वर्णिम अक्षरों में लिखा रहेगा.
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