अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस 2022 हर साल 8 मार्च को मनाया जाता है. इस दिन महिलाओं के सम्मान में कई तरह के कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है. Women's Day के मौके पर उल्लेखनीय कार्य करने वाली महिलाओं को सम्मानित भी किया जाता है. लेकिन International Women's Day 2022 के मौके पर उर्दू शायरी को कैसे नजरअंदाज किया जा सकता है. उर्दू शायरी में महिलाओं को लेकर जबरदस्त बातें कही गई हैं और उनकी व्यथा और ताकत को बयान किया गया है.
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर मशहूर शायरी:
शहर का तब्दील होना शाद रहना और उदास
रौनक़ें जितनी यहाँ हैं औरतों के दम से हैं
मुनीर नियाज़ी
औरत ने जनम दिया मर्दों को मर्दों ने उसे बाज़ार दिया
जब जी चाहा मसला कुचला जब जी चाहा धुत्कार दिया
साहिर लुधियानवी
एक के घर की ख़िदमत की और एक के दिल से मोहब्बत की
दोनों फ़र्ज़ निभा कर उस ने सारी उम्र इबादत की
ज़ेहरा निगाह
औरत के ख़ुदा दो हैं हक़ीक़ी ओ मजाज़ी
पर उस के लिए कोई भी अच्छा नहीं होता
ज़ेहरा निगाह
बेटियाँ बाप की आँखों में छुपे ख़्वाब को पहचानती हैं
और कोई दूसरा इस ख़्वाब को पढ़ ले तो बुरा मानती हैं
इफ़्तिख़ार आरिफ़
क़द्र अब तक तेरी तारीख़ ने जानी ही नहीं
तुझमें शोले भी हैं बस अश्क-फ़िशानी ही नहीं
तू हक़ीक़त भी है दिलचस्प कहानी ही नहीं
तेरी हस्ती भी है इक चीज़ जवानी ही नहीं
अपनी तारीख़ का उनवान बदलना है तुझे
उठ मेरी जान. मेरे साथ ही चलना है तुझे
कैफ़ी आज़मी
ज़माने अब तिरे मद्द-ए-मुक़ाबिल
कोई कमज़ोर सी औरत नहीं है
फरीहा नक़वी
ख़ुद पे ये ज़ुल्म गवारा नहीं होगा हम से
हम तो शो'लों से न गुज़़रेंगे न सीता समझें
बिलक़ीस ज़फ़ीरुल हसन
अभी रौशन हुआ जाता है रस्ता
वो देखो एक औरत आ रही है
शकील जमाली
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