
विनोद खन्ना बॉलीवुड के वो इकलौते स्टार थे, जो ना सिर्फ हीरो बनकर बल्कि बतौर विलेन भी सुपरहिट हुए थे. एक्टर का विलेन का रोल इतना दमदार होता था, जो लीड हीरो पर हमेशा भारी पड़ता था. 70 के दशक में उन्होंने अपनी दमदार पर्सनैलिटी और अपने चार्म से अमिताभ बच्चन जैसे सुपरस्टार को भी पीछे छोड़ दिया था, लेकिन 70 के दशक के अंत में उन्होंने अपने पीक करियर में फिल्म इंडस्ट्री छोड़ आध्यात्मिक गुरु ओशो की शरण ले ली थी. दरअसल, बीती 6 अक्टूबर को विनोद खन्ना की बर्थ एनिवर्सरी थी. विनोद खन्ना की जिंदगी भी किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं थी.
फिल्मी कहानी जैसी थी विनोद खन्ना की लाइफ
बिजनेस क्लास फैमिली में पैदा हुए विनोद खन्ना के घरवालें उनके फिल्मी करियर के खिलाफ थे, लेकिन 1960 में उन्होंने कॉलेज में थिएटर ग्रुप ज्वाइन किया, जहां उनकी मुलाकात पहली पत्नी गीतांजलि तलेयारखान से हुई. वह वकील और बिजनेसमैन पारसी फैमिली से थीं और एक मॉडल थीं. विनोद को सुनील दत्त ने पहली फिल्म मन का मीत ऑफर की थी. डेब्यू फिल्म से विनोद हिट हुए और उनकी झोली में 15 फिल्में आ गईं. 1968 में बॉलीवुड डेब्यू और फिर साल 1971 में उन्होंने गीतांजलि से शादी रचा ली थी. पहली शादी से विनोद को राहुल और अक्षय खन्ना दो बेटे हुए. विनोद एक फैमिली मैन थे और रविवार को काम नहीं करते थे. फिर हिट करियर के दौरान ओशो की शरण ले ली.
जब दूसरी पत्नी से यहां हुई थी मुलाकात
विनोद ने सब कुछ त्याग ओशो की शरण ली और 1985 में पत्नी से तलाक ले लिया. कुछ सालों बाद जब ओशो का आश्रम तोड़ दिया गया तो वह वापस फिल्म इंडस्ट्री में आ गए. अपने 43वें बर्थडे पर उनकी मुलाकात कविता से हुई और एक ही नजर में उनसे प्यार हो गया. साल 1990 में विनोद-कविता ने शादी कर ली. इस शादी से भी एक्टर को दो बच्चे हुए. अक्षय खन्ना ने बताया था कि पिता के जाने के बाद मां को बहुत दिक्कते हुई थीं. उन्होंने कहा था, 'मेरी मां मेरी सबसे बड़ी गुरु रही हैं, उन्होंने हमें फेम की चमक से दूर रखा, आज मैं जो कुछ भी हूं, जिस तरह मैं सोचता हूं, जिस तरह मैं जीवन को समझता हूं वह सब उन्हीं की देन है'. बता दें, साल 2017 में कैंसर से विनोद खन्ना का निधन हो गया था.
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं