गिरीश कर्नाड ने मैथेमेटिक्स और स्टेटिक्स में किया था बैचलर, कन्नड़ में लिखते थे नाटक...जानें 10 खास बातें

गिरीश कर्नाड (Girish Karnad) का 81 साल की उम्र में निधन हो गया है. गिरीश कर्नाड सलमान खान के साथ 'टाइगर जिंदा हैं' में नजर आए थे.जानें उनके बारे में 10 खास बातें...

गिरीश कर्नाड ने  मैथेमेटिक्स और स्टेटिक्स में किया था बैचलर, कन्नड़ में लिखते थे नाटक...जानें 10 खास बातें

एक्टर गिरीश कर्नाड का 81 वर्ष की उम्र में हुआ निधन

खास बातें

  • गिरीश कर्नाड का 81 साल की उम्र में हुआ निधन
  • बीमारी से जूझ रहे थे दिग्गज एक्टर गिरीश कर्नाड
  • मैथेमेटिक्स और स्टेटिक्स में किया था बैचलर ऑफ आर्ट्स
नई दिल्ली :

एक्टर और जाने-माने लेखक गिरीश कर्नाड (Girish Karnad) का निधन हो गया है. गिरीश कर्नाड (Girish Karnad) 81 साल के थे. बताया जा रहा है कि गिरीश कर्नाड (Girish Karnad) पिछले कई दिनों से बीमार थे. गिरीश कार्नाड जाने-माने समकालीन लेखक, अभिनेता, फिल्म निर्देशक और नाटककार के तौर पर भी जाने जाते थे. गिरीश कर्नाड सलमान खान की 'टाइगर जिंदा है' जैसी फिल्म में भी नजर आए थे, और 'मालगुड़ी डेज' के स्वामी के पिता के रोल की वजह से भी उन्हें पहचाना जाता है. गिरीश कर्नाड (Girish Karnad) का जन्म महाराष्ट्र में हुआ था लेकिन उन्होंने लिखने के लिए कन्नड़ भाषा का चयन किया और उनके नाटकों का कई भाषाओं में अनुवाद हुआ. 

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गिरीश कर्नाड के बारे में 10 खास बातें....

महाराष्ट्र के माथेरान में 19 मई, 1938 को हुआ था जन्म. गिरीज रघुनाथ कर्नाड था पूरा नाम.

गिरीश कर्नाड ने कर्नाटक आर्ट्स कॉलेज से मैथेमेटिक्स और स्टेटिक्स में किया था बैचलर ऑफ आर्ट्स.

ऑक्सफोर्ड से हासिल की फिलॉसफी, पॉलिटिकल साइंस और इकोनॉमिक्स में मास्टर ऑफ आर्ट्स की डिग्री.

1974 से 1975 तक फिल्म और टेलीविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के डायरेक्टर रहे.

बॉलीवुड के मशहूर एक्टर गिरीश कर्नाड का निधन

1988 से 1993 तक संगीत नाटक अकादमी के चैयरमैन पद को संभावा.

गिरीश कर्नाड कन्नड़ भाषा में लिखते थे नाटक. 'तुगलक', 'ययाति' और 'हयवदन' थे उनके प्रमुख नाटक.

गिरीश कर्नाड को 1974 में पद्म श्री अवार्ड से नवाजा गया और 1952 में पद्म श्री से सम्मानित किया गया.

गिरीश कर्नाड को 1994 में साहित्य अकादेमी अवार्ड मिला था. 

साहित्य रचना के लिए 1998 में गिरीश कर्नाड को ज्ञानपीठ पुरस्कार दिया गया. 

गिरीश कर्नाड ने 1971 में 'वामशा वृक्ष' से किया डॉरेक्शन में डेब्यू, एस. एल. भैरप्पा के कन्नड़ उपन्यास पर आधारित थी फिल्म.

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