
ओटीटी आने के बाद से सस्पेंस और थ्रिलर मूवीज की भरमार हो चुकी है. इन मूवीज के बीच में एक ऐसी मूवी भी है जिसका ट्विस्ट समझते समझते दिमाग चकरा जाता है. फिल्म का आधा घंटा भी नहीं गुजर पाता है और एक नया ट्विस्ट आ जाता है. दो तारीखों के बीच उलझी इस फिल्म की कहानी ऐसी है कि एक भी सीन मिस किया तो बड़े ट्विस्ट से चूक सकते हैं. इस फिल्म को रिलीज हुए दस साल बीत चुके हैं. लेकिन इसके अगले सिक्वेल का इंतजार अब भी दर्शक कर रहे हैं.
कौन सी है ये फिल्म?
2 अक्टूबर को विजय सलगांवकर अपने परिवार के साथ पनजी गया था..." इस डायलॉग को सुनते ही आज भी दिमाग खराब हो जाता है. ये सुनकर आप समझ ही गए होंगे कि हम किस फिल्म की बात कर रहे हैं. ये फिल्म है दृश्यम जिसे रिलीज हुए 10 साल पूरे हो गए हैं. लेकिन इसका सस्पेंस और शॉकिंग ट्विस्ट आज भी उतना ही दमदार लगता है.
31 जुलाई 2015 को जब ये फिल्म सिनेमाघरों में आई थी किसी को नहीं पता था कि ये एक सिंपल फैमिली ड्रामा जैसा दिखने वाला ट्रेलर असल में दिमाग घुमा देने वाला थ्रिलर निकलेगा. जैसे-जैसे फिल्म आगे बढ़ती है. हर सीन में कुछ नया छुपा होता है. और एंड आते-आते… दिमाग भन्ना जाता है.
ऐसी है फिल्म की कहानी
इस फिल्म की खास बात है कि ये एक आम आदमी की कहानी है जिसका नाम विजय सालगांवकर है. ये ना कोई हीरो है, न क्रिमिनल… बस अपने परिवार के लिए कुछ भी कर गुजरने वाला इंसान है. जब उसका सामना एक सख्त पुलिस अफसर से होता है. तब शुरू होती है एक जंग जिसे देखकर हर दर्शक अपनी सीट से चिपक जाता है.
फिल्म को डायरेक्ट किया था निशिकांत कामत ने जिनकी सिंपल लेकिन असरदार स्टोरीटेलिंग ने इसे मास्टरपीस बना दिया. अजय देवगन का सीरियस चेहरा, तब्बू की टेढ़ी मुस्कान और हर सीन में छुपा क्लू. ये सब मिलकर फिल्म को एक ऐसा अनुभव बनाते हैं जिसे भूल पाना मुश्किल है. आज ‘दृश्यम' को 10 साल हो गए हैं लेकिन इसका असर अब भी वैसा ही है. अगर आपने अब तक नहीं देखी तो यकीन मानिए – आपका दिमाग भी एंड में घूम जाएगा.
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