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एक दिन भी नहीं चलेगी... किसी ने नही खरीदी 23 साल पुरानी ये फिल्म, मेकर्स हुए मालामाल, 10 करोड़ में...

Nobody bought 23 year old film after release makers became rich : विधु विनोद चोपड़ा ने याद किया कि 12वीं फेल की तरह उनके प्रोडक्शन हाउस की मुन्ना भाई MBBS को भी डिस्ट्रीब्यूटर्स ने रिजेक्ट कर दिया था.

एक दिन भी नहीं चलेगी... किसी ने नही खरीदी 23 साल पुरानी ये फिल्म, मेकर्स हुए मालामाल, 10 करोड़ में...
10 करोड़ के बजट में इस फिल्म ने कमाए 33 करोड़
नई दिल्ली:

फिल्में कब हिट हो जाए यह पता नहीं होता. इसका अंदाजा इन दिनों सिनेमाघरों में ताबड़तोड़ कलेक्शन कर रही सैयारा को देखकर कहा जा सकता है, जिसका रिलीज से पहले कई जिक्र सुनने को नही मिला. हालांकि यह पहली बार नहीं है 23 साल पहले एक फिल्म ऐसी थी, जिसे डिस्ट्रीब्यूटर्स ने खरीदने से इंकार कर दिया था. वहीं जब फिल्म रिलीज हुई तो मेकर्स को मालामाल करते हुए 10 करोड़ के बजट में 33 करोड़ से ज्यादा की कमाई कर दी. नहीं पहचाना? हम बात कर रहे हैं संजय दत्त की ब्लॉकबस्टर फिल्म मुन्नाभाई एमबीबीएस की. 

दरअसल, विधु विनोद चोपड़ा बॉलीवुड के टॉप प्रोड्यूसर्स में गिने जाते हैं. उन्होंने प्रदीप सरकार की परिणीता, राजकुमार हिरानी की फ्रेंचाइज मुन्ना भाई फ्रेंचाइज, 3 इडियट्स और पीके जैसी फिल्मों को प्रोड्यूस किया. लेकिन हाल ही में स्क्रीन को दिए इंटरव्यू में उन्होंने बताया कि साउथ का कोई बी डिस्ट्रिब्यूटर 2003 में रिलीज हुई मुन्नाभाई एमबीबीएस को उनसे खरीदना नहीं चाहता था. उन्होंने कहा, मुन्नाभाई एमबीबीएस के लिए सिनेमाघरों के खाली दरवाजे खुला. और फिल्म ने मुझे अमीर बना दिया. लेकिन मुंबई के अलावा किसी ने भी इस फिल्म को नहीं खरीदा. दक्षिण भारत में मेरा एक डिस्ट्रीब्यूटर था, जिसने मुन्ना भाई को 11 लाख रुपये में खरीदा था. उन दिनों, वे डिलीवरी लेते थे. इसलिए वह फिल्म रिलीज होने से चार दिन पहले डिलीवरी लेने आया. जब उसने फिल्म देखी, तो उसने कहा, 'सर, यह फिल्म एक दिन भी नहीं चलेगी. मुंबई के बाहर किसी को भी मुन्ना भाई की भाषा समझ नहीं आएगी.'

जो लोग नहीं जानते उन्हें बता दें कि मुन्ना भाई एमबीबीएस की कहानी मुंबई के एक गैंगस्टर (संजय दत्त) के डॉक्टर बनने के फैसले के के इर्द-गिर्द घूमती है. फिल्म में, मुख्य किरदार और उसके गुर्गे, जिनमें दाहिना हाथ सर्किट (अरशद वारसी) भी शामिल है, जो मुंबई की गली-मोहल्ले की भाषा बंबइया बोलते हैं. इस फिल्म को 10 करोड़ के बजट में बनाया गया था. लेकिन 33 करोड़ से ज्यादा का फिल्म ने कलेक्शन हासिल किया था. इसे राजकुमार हिरानी ने डायरेक्ट किया था. 

चोपड़ा ने खुलासा करते हुए कहा, "असल बात यह है कि दक्षिण भारत में मेरा कोई डिस्ट्रीब्यूटर नहीं था. मेरे कुछ दोस्त थे - श्याम श्रॉफ और बाला श्रॉफ - जिनकी एक कंपनी थी. वहां एक सिनेमाघर था, और मुझे चेन्नई में सुबह 11 बजे का सिर्फ एक शो मिलता था. मैंने वहां अपना प्रिंट 5 लाख रुपये में बेचा. उस एक सेंटर से मेरा आखिरी कारोबार 1 करोड़ रुपये से ज़्यादा का था.पहले या दूसरे दिन कोई भी फिल्म देखने नहीं गया. लेकिन जब आप अच्छा काम करते हैं. मार्केटिंग का विरोधी नहीं, लेकिन मुझे मार्केटिंग की कोई परवाह नहीं है क्योंकि लोग खुद ही पता लगा लेंगे. यहां तक कि 12वीं फेल की फिल्म भी 10-30 लाख रुपये से शुरू हुई थी. आज के जमाने में यह सिनेमाघरों में सात महीने तक चली! रिलीज़ होने के दो महीने बाद ही यह हॉटस्टार जैसे ओटीटी प्लेटफ़ॉर्म पर आ गई, फिर भी लोग सिनेमाघरों में गए." 

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