16 साल की शादी के बाद 2021 में आमिर खान और किरण राव के अलग होने के फैसले से कई लोग हैरान रह गए. हालांकि एक्स कपल ने तलाक की पारंपरिक धारणाओं को धता बताते हुए एक करीबी रिश्ता बनाए रखा है. वे अपने बेटे आजाद की को-पेरेंटिंग करने के साथ साथ प्रोफेशनल तौर पर भी साथ काम करते हैं. किरण ने फिल्म लापता लेडीज को डायरेक्ट किया. इसे आमिर ने को-प्रोड्यूस किया. उनका रिश्ता को-पेरेंटिंग से कहीं आगे है. वे एक-दूसरे को परिवार मानते हैं जैसा कि आमिर की बेटी आइरा खान की शादी में किरण की मौजूदगी से भी पता चला.
हाल ही में फेय डिसूजा के साथ एक इंटरव्यू में किरण ने आमिर से अपने अलगाव के बारे में सवालों के जवाब देने के बारे में खुलकर बात की. असल में उनके दोस्तों और माता-पिता के पास भी उनके तलाक के फैसले के बारे में कई सवाल हैं. उन्होंने कहा, “मुझे लगता है कि मैं अपने लिए स्पेस बनाने और फिर से आजाद महसूस करने के लिए बहुत एक्साइटेड थी. तलाक से बचने के लिए को-पेरेंटिंग के रूप में, वास्तव में परिवार के रूप में हमारे बीच एक मजबूत रिश्ता है. मैं यह जानकर आराम से अपने लिए पर्सनल टाइम निकाल पाऊंगी कि आजाद के पिता मेरे दोस्त भी हैं, परिवार भी हैं. मुझे मेंटली और इमोशनली इस रिश्ते को बनाने में थोड़ा समय लगा. आमिर के लिए भी इतना आसान नहीं था. हमें इस बात को लेकर श्योर होने की जरूरत थी कि हम कहीं नहीं जा रहे हैं. हम लंबे समय तक एक-दूसरे के साथ हैं. बस इसके लिए हमें शादीशुदा होने की जरूरत नहीं है.”
किरण राव ने खुलासा किया कि उनके माता-पिता भी अक्सर तलाक के बाद उनके रिश्ते पर सवाल उठाते हैं. आमिर से मिलने से पहले लंबे समय तक सिंगल रहीं किरण ने कहा, "मुझे लगा कि यही मुझे खुशी देगा और इससे मुझे बहुत खुशी मिली है. आमिर से पहले मैं बहुत लंबे समय तक सिंगल थी. मैंने अपनी आजादी का भरपूर आनंद लिया. मैं अकेली थी लेकिन अब मेरे पास आजाद है इसलिए मैं अकेली नहीं रहती. मुझे लगता है कि तलाक लेने या अपने साथी को खोने के बाद बहुत सी महिलाओं के लिए अकेलापन ही एकमात्र चिंता होती है. सौभाग्य से मुझे इसका सामना बिल्कुल नहीं करना पड़ा. मुझे अपने परिवार और उसके परिवार और अपने दोस्तों से बहुत सपोर्ट मिलता है. इसलिए यह सब अच्छी चीजें ही रही हैं. यह एक बहुत ही खुशहाल तलाक रहा है."
किरण ने इस बात पर जोर दिया कि यह सेटअप उन्हें खुशी देता है. "आमिर से पहले मैं आजादी का आनंद लेती थी और अब आजाद के होने से साथ की कमी महसूस नहीं होती. तलाक के बाद अकेलेपन से डरने वाली कई महिलाओं से अलग मुझे परिवार और दोस्तों दोनों का सपोर्ट मिला है. यह एक पॉजिटिव एक्सपीरियंस रहा है, एक 'हैप्पी डिवोर्स'."
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