कोरोना महामारी (Coronvirus) के समय में हर कोई मुसीबतों से जूझ रहा है. कोई अपनी नौकरी खोने से परेशान है, तो कोई आर्थिक तंगी से गुजर रहा है. ऐसे में लोगों की एक-दूसरे के साथ की काफी 'जरूरत' है. लोगों को एक-दूसरे के साथ और अपनेपन की 'जरूरत (Zaroorat Song)' है. इसी को लेकर हाल ही में वरुण गुप्ता (Varun Gupta) का नया गाना 'जरूरत' रिलीज हुआ है. गाने को लेकर वरुण ने एनडीटीवी से खास बातचीत की. इस दौरान उन्होंने बताया कि आखिर उन्होंने इस गाने को क्यूं बनाया. बता दें, गाने में एक्टर शत्रुघ्न सिन्हा (Shatrughan Sinha) और उनकी बेटी सोनाक्षी सिन्हा (Sonakshi Sinha) को भी कास्ट किया गया है.
1- आपके दिमाग में इस गाने को बनाने का ख्याल कैसे आया?
'ज़रूरत (Zaroorat)' सिर्फ एक गाना नहीं एक सफ़र है. जो हम में से हर एक हमेशा से तय करता आया है. किसी की तकलीफ में किसी का साथ देना, किसी के आंसूओं में उसकी मुस्कुराहट बन जाना या किसी जरूरतमन्द की ज़रूरत बन जाना ये सिर्फ़ एक दिन की बात नहीं बल्कि ज़िंदगी जीने का तरीका है. इसी सोच को आगे बढ़ाते हुए, कोरोना पंडेमिक में हमने पहले बच्चन साहब (Amitabh Bachchan) के साथ 'गुज़र जाएगा' और फ़िर शत्रु सर (Shatrughan Sinha) और सोनाक्षी के साथ 'ज़रूरत' जैसी कोशिशें की हैं. और ये कोशिशें सिर्फ़ कोरोना में ही नहीं इसके बाद भी लोगों में इंसानियत पर भरोसा मज़बूत करने में मदद करेंगी.
2- सोनाक्षी सिन्हा और शत्रुघ्न सिन्हा को ही आपने इस गाने में कास्ट क्यों किया?"
'गुज़र जाएगा (Guzar Jayega Song)' कि सफलता के बाद मेरी दोस्त नीतू, जो कुवैत से हैं का बधाई कॉल आया जिस पर हमने 'ज़रूरत' की नींव रखी. ज़रूरत का ज़िक्र करते हुए हमें महसूस हुआ कि हमें ज़रूरत के लिए एक पिता और बेटी की जोड़ी चाहिए जो दो पीढ़ियों का प्रतिनिधित्व कर सके और हमारा सन्देश बहुत ही सटीकता से लोगों तक पहुंच सके. मुझे नहीं लगता शत्रु सर और सोनाक्षी से बेहतर ऐसा कोई कर पाता और हमने जब ये प्रोजेक्ट शत्रु सर और सोनाक्षी के साथ शेयर किया तो उन्हें भी ये पसन्द आया.
3- कोरोना काल में लोग एक दूसरे की काफी मदद कर रहे हैं, तो क्या कहीं ना कहीं आपका यह गाना उनसे प्रेरित था?
जैसा कि मैंने पहले कहा इंसानियत और प्यार एक दिन की बात नहीं ये हमारी ज़िंदगी भर की ज़िम्मेदारी है. किसी की 'ज़रूरत' में ज़रूरी हो जाना हमारे संस्कारों में हमेशा से रहा है. कोरोना के आने पर इन जज़्बातों को
ज़िंदा होते हुए देख बहुत अच्छा लगा. उम्मीद है कि हम समझ पाएंगे कि इंसानियत से बड़ा कोई धर्म नहीं होता और हम एक दूसरे की मदद कर एक दूसरे का हाथ पकड़ कर ही आगे बढ़ पाएंगे. तो इस गाने की प्रेरणा कोरोना से नहीं, इंसानियत से है.
4- सोनू सूद (Sonu Sood) ऐसे समय में जरूरतमंदों के मसीहा बनकर उभरे हैं, तो उनको लेकर आपकी क्या राय है?सोनू सूद जी (Sonu Sood) ने जो काम किया है वो सच में सराहनीय है. गरीब लोगों की मदद करना और उन्हें अपने घरों तक पहुंचाना वाकई काबिल-ए-तारीफ़ है. उनको मैं बधाई देता हूं और उनके अलावा वे सब लोग भी बधाई के हकदार है, जो छोटी छोटी कोशिशें कर इंसानियत को ज़िंदा रख रहे हैं. और ये कोशिशें सिर्फ़ मुम्बई में ही नहीं देश दुनिया के हर कोने में हो रही हैं.
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