
दिल्ली के किरोड़ीमल से पढ़े शक्ति कपूर ने पुणे के एफटीआईआई से फिल्म कोर्स किया, पर मजेदार बात यह है कि न तो उनकी एक्टिंग में रुचि थी और न ही उन्होंने कभी एक्टर बनने का सोचा था. लेकिन घटना कुछ ऐसी घटी, जो उन्हें अभिनय के रास्ते पर ले गई. शक्ति कपूर ने एनडीटीवी को यह किस्सा सुनाया. उन्होंने कहा, "मेरे दोस्तों ने एफटीआईआई (फिल्म इंस्टिट्यूट) के लिए फॉर्म भरे. उन्होंने कहा, ‘ये गोरा-चिट्टा है, इसका भी फॉर्म भर देते हैं'. मैं एक्टिंग में बिल्कुल इंटरेस्टेड नहीं था". उन्होंने आगे क्या कहा आइए जानते हैं.
शक्ति कपूर ने कहा, "40,000 फॉर्म थे, 10 लड़के और 10 लड़कियां चुननी थीं पूरे हिंदुस्तान से. रिटन टेस्ट पास हो गया, लेकिन मेन ऑडिशन टेस्ट था दिल्ली पब्लिक स्कूल में. जब मेरी बारी आई तो सामने अशोक कुमार जी, कामिनी कौशल जी, ऋषिकेश जी बैठे थे. मैंने उनके पैर छुए और कहा, ‘मैं बहुत किस्मत वाला हूं कि इतने महान लोगों के दर्शन हुए. मैं एक्टर नहीं हूं, लेकिन कोशिश कर रहा हूं. मुझे यकीन था कि मेरा कुछ नहीं होगा. असल में मुझे कोई उम्मीद नहीं थी, तो मैं नर्वस नहीं था और इसलिए बिंदास ऑडिशन किया. लेकिन जब नतीजे आए तो कॉलेज के बड़े-बड़े कलाकार रह गए, और मैं और मेरा दोस्त अनिल वर्मन सिलेक्ट हो गए".
शक्ति कपूर ने फिल्मों में शुरुआत 1975 में की, लेकिन उन्हें असली पहचान मिली फिरोज खान द्वारा निर्देशित फिल्म कुर्बानी से, जहां वो विलन के किरदार में नजर आए. फिल्मों में उनका शुरुआती दौर बतौर विलन ही रहा, लेकिन बाद में उनकी गोविंदा के साथ जोड़ी जमी और वो कॉमेडी रोल्स में उतर गए.
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