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I Am No Queen: ऑस्कर की रेस में यूपी के आर्टिस्ट की डॉक्यूमेंट्री, छात्रों की जद्दोजहद पर आधारित है फिल्म

भारतीय मूल के युवा निर्देशक शादाब खान की इंडिपेंडेंट डॉक्यूमेंट्री फीचर फिल्म 'I Am No Queen' ने 98वें एकेडमी अवार्ड्स की डॉक्यूमेंट्री फीचर कैटेगरी में ऑफिशियल क्वालिफिकेशन हासिल कर ली है.

I Am No Queen: ऑस्कर की रेस में यूपी के आर्टिस्ट की डॉक्यूमेंट्री, छात्रों की जद्दोजहद पर आधारित है फिल्म
ऑस्कर की रेस में यूपी के आर्टिस्ट की डॉक्यूमेंट्री
नई दिल्ली:

भारतीय मूल के युवा निर्देशक शादाब खान की इंडिपेंडेंट डॉक्यूमेंट्री फीचर फिल्म 'I Am No Queen' ने 98वें एकेडमी अवार्ड्स की डॉक्यूमेंट्री फीचर कैटेगरी में ऑफिशियल क्वालिफिकेशन हासिल कर ली है. फिल्म को एकेडमी स्क्रीनिंग रूम में शामिल कर लिया गया है और अब इसे ब्रांच के वोटिंग मेंबर्स इसे देख सकते हैं. किसी भी देश की आधिकारिक प्रविष्टि न होकर एक इंटिपेंडेंट  सबमिशन के रूप में क्वालिफाई करना फिल्म के लिए बड़ी उपलब्धि है.

300 ग्लोबल फिल्मों में शामिल हुई ‘I Am No Queen'

निर्देशक शादाब खान को 14 नवंबर को ऑस्कर कमेटी से मेल आया, जिसमें पुष्टि की गई कि फिल्म क्वालिफाई हो चुकी है. इस साल डॉक्यूमेंट्री फीचर कैटेगरी में दुनिया भर से करीब 300 फिल्मों को पहली लिस्ट में जगह मिली है. एकेडमी स्क्रीनिंग रूम तक पहुंचना किसी भी डॉक्यूमेंट्री के लिए सबसे अहम चरण माना जाता है, क्योंकि यहीं से वोटिंग प्रोसेस शुरू होता है. 

फिल्म की कहानी में क्या है?

'I Am No Queen' उन छात्रों के संघर्ष पर आधारित है, जो तीसरी दुनिया से पहली दुनिया में पढ़ाई के लिए जाते हैं और वहां रहते हुए आर्थिक-सामाजिक जोखिमों से जूझते हैं. फिल्म पहचान, प्रवासन, असुरक्षा और सिस्टम की खामियों की पड़ताल करती है. फिल्म में पोर्ट्रे किए गए एक्सपीरिएंस इतने प्रामाणिक और प्रभावी रहे कि कनाडा में अंतरराष्ट्रीय छात्रों से जुड़ी नीतियों पर वास्तविक बदलाव की प्रक्रिया तेज हुई. फिल्म के निर्देशक ने बताया कि कनाडा के कुछ सीनियर अधिकारियों ने फिल्म देखने के बाद इसे खुद संभावित ऑस्कर कंटेंडर के रूप में अनुशंसित किया. 

स्वतंत्र निर्माण, वैश्विक प्रभाव

फिल्म को भारतीय मूल के एनआरआई निर्माता दीप बासी और मीनू बासी ने प्रोड्यूस किया है. बिना किसी सरकारी समर्थन या पारंपरिक स्टूडियो सिस्टम के इस लेवल की पहचान हासिल करना स्वतंत्र फिल्मों के लिए बेहद मुश्किल काम होता है. टीम ने सेल्फ क्वालिफिकेशन प्रोसेस का पालन करते हुए फिल्म को डॉक्यूमेंट्री फीचर कैटेगरी में सबमिट किया, जिसके बाद फिल्म का सेलेक्शन हुआ.

शादाब खान, मॉडलिंग से इंटरनेशनल डायरेक्टर तक

उत्तर प्रदेश के अमरोहा में पढ़ाई करने के बाद शादाब खान ने मुंबई में करीब एक दशक तक मॉडलिंग की. अपनी विजुअल सेंसटिविटी और कैमरे की समझ के कारण वे डायरेक्शन की तरफ मुड़े और X or Y, Rabia and Olivia, Delhi 47 KM और BA Pass 2 जैसी फिल्मों के जरिए पहचान बनाई. X or Y को 23 और Rabia and Olivia को 13 अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार मिल चुके हैं. उनका प्रजेंटेशन और सामाजिक विषयों पर केंद्रित कहानी कहने की शैली उन्हें अन्य निर्देशकों से अलग बनाती है.

डॉक्यूमेंट्री पर निर्देशक

डायरेक्टर शादाब खान ने कहा कि 'I Am No Queen' फ्रीलांस काम करने वालों की वैश्विक जीत है. यह उपलब्धि इस बात का सबूत है कि मजबूत विषय और वास्तविक कहानी कहने की क्षमता किसी भी बड़े स्टूडियो प्रोजेक्ट के बराबर खड़ी हो सकती है.

फिल्म अब एकेडमी स्क्रीनिंग रूम में उपलब्ध है और डॉक्यूमेंट्री ब्रांच के सदस्य वोटिंग प्रोसेस में हिस्सा ले रहे हैं. 98वें अकादमी पुरस्कारों का आखिरी ऐलान मार्च 2026 में किया जाएगा. टीम का फोकस अब जूरी तक फिल्म की अधिकतम पहुंच सुनिश्चित करने पर है, जिससे उनकी यह उपलब्धि ऑस्कर नॉमिनेशन तक पहुंच सके.

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