आज जब बॉलीवुड फिल्में अगर बॉक्स ऑफिस पर 25 या 50 दिन पूरे कर ले तो उसका जश्न मनाया जाता है. लेकिन एक दौर ऐसा भी था जब फिल्में 25 हफ्ते (सिल्वर जुबली) और 50 हफ्ते (गोल्डन जुबली) बॉक्स ऑफिस पर पूरे किया करती थीं. बॉलीवुड का एक ऐसा भी एक्टर था, जिसे जुलबी कुमार के नाम से कहा जाता था क्योंकि 1960 के दशक में एक के बाद एक उसकी कई फिल्मों ने बॉक्स ऑफिस पर सिल्वर जुबली मनाई थी. यह एक्टर कोई और नहीं बल्कि राजेंद्र कुमार थे. राजेंद्र कुमार ने अपनी सीधी-सादी अदायगी से दर्शकों के दिलों में गहरे तक जगह बनाई
राजेंद्र कुमार ने 1949 में पतंगा फिल्म में छोटे से किरदार से एक्टिंग में डेब्यू किया था. लेकिन 1956 में आई 'मदर इंडिया' फिल्म के रोल से उनको पहचान मिली. लेकिन बतौर हीरो उन्होंने 1960 के दशक में बॉलीवुड में पकड़ कायम करनी शुरू की. बॉक्स ऑफिस पर उनका जलवा ऐसा था कि उनकी फिल्में 25 हफ्ते यानी की सिल्वर जुबली कर रही थीं. यही नहीं, ऐसा एक दो फिल्मों के साथ नहीं बल्कि कई फिल्मों के साथ हो रहा था. इसी वजह से उन्हें जुबली कुमार का नाम भी दिया गया. उनकी हिट फिल्मों की बात करें तो इनमें धूल का फूल (1959), घराना (1961), दिल एक मंदिर (1963), मेरे महबूब (1963), संगम (1964), आई मिलन की बेला (1964), आरजू (1965), सूरज (1966), झुक गया आसमान (1968). तलाश (1969) और गंवार (1970) के नाम लिए जा सकते हैं. उनकी अधिकतर फिल्मों में प्रेम और आम आदमी की कहानी नजर आती थी, जिससे उसके दर्शक बहुत ही करीब से खुद को जोड़ लेते थे.
राजेंद्र कुमार ने 1981 में बेटे कुमार गौरव को फिल्म 'लव स्टोरी' से लॉन्च किया था. कुमार गौरव बॉलीवुड कोई बहुत बड़ी कामयाबी हासिल नहीं कर सके. राजेंद्र कुमार का निधन 71 वर्ष की आयु में 12 जुलाई, 1999 को हुआ. उन्हें नींद में ही कार्डियक अरेस्ट हो गया था.
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