प्रियंका चोपड़ा
नई दिल्ली:
भारत एक ऐसा देश है जहां के ज़्यादातर लोग सावंले रंग के है लेकिन इसके बावजूद यहां सांवले रंग को पसंद नहीं किया जाता. यही नहीं यहां लोगों की इमेज भी उसकी त्वचा का रंग देखकर बनाई जाती है. यानी कि अगर आपका रंग गोरा है तो आपको होशियार और अच्छा समझा जाएगा लेकिन इसके उलट सांवले रंग के लोगों को कमतर आंका जाता है. इसी वजह से फेयरनेस क्रीम बेचने वाली कंपनियों की चांदी ही चांदी है. टीवी पर आने वाले कमोबेश हर दूसरे विज्ञापन में यही बताया जाता है कि बेहतर करियर और अच्छा जीवन साथी पाने के लिए फेयरनेस क्रीम को अपनाना क्यों ज़रूरी है. और तो और यह भी दावा किया जाता है कि रजब तक आप फेयरनेस क्रीम का इस्तेमाल कर गोरी नहीं हो जातीं तब तक आप 'संस्कारी' भी नहीं बन सकती. फेयरनेस क्रीम के लिए इस दीवानगी का बहुत बड़ा क्रेडिट बॉलीवुड सितारों को भी जाता है. हर कोई उनके जैसा बनना चाहता है और ऐसे में फेयरनेस क्रीम बनाने वाली कंपनियों ने अपने प्रोडक्ट के प्रचार के लिए सेलिब्रिटीज़ की लोकप्रियता को खूब भुनाया. हालांकि आजकल आपको ढेरों ऐसे एक्टर्स मिल जाएंगे जिन्हें अपनी स्किन से कोई शिकायत नहीं.
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बॉलीवुड अभिनेत्री प्रियंका चोपड़ा ने हाल ही में वोग को दिए एक इंटरव्यू में इस बात को स्वीकार किया है कि उन्हें फेयरनेस क्रीम का प्रचार करने का बहुत अफसोस है. भारत में अपनी ज़िदगी के बारे में बातचीत करते हुए प्रियंका ने बताया कि 15 साल की उम्र तक वो बहुत परेशान रहती थीं और अपनी त्वचा के रंग को लेकर सहज महसूस नहीं करती थीं. प्रियंका के इस कबूलनामे पर इंटरव्यू लेने वाली महिला हैरत में पड़ गई और उन्होंने दोबारा उनसे पूछा, 'आप अपनी स्किन को लेकर यहां (अमेरिका) कॉन्शियस थीं या भारत में?' दरअसल, महिला को यकीन नहीं कर पा रहा था कि जिस देश के ज़्यादातर लोगों सांवले हो वहां के लोग स्किन को लेकर अपने ही देश में कॉन्श्यिस कैसे हो सकते हैं. इस सवाल के जवाब में प्रियंका ने कहा, 'भारत में क्योंकि वहां गोरे रंग वालों को ही सुंदर माना जाता है'.
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अपनी बात को और अच्छी तरह समझाते हुए प्रियंका ने कहा कि उन्हें यहां डस्की कहा जाता है. जब उनसे पूछा गाय कि डस्की कहे जाने पर कैसा लगता है तो उन्होंने कहा, 'डस्की स्किन वाली ज़्यादातर लड़कियों को अकसर ये सुनने को मिलता है, अरे, बेचारी डस्की है. भाारत में स्किन लाइटिंग क्रीम का खूब प्रचार होता है. विज्ञापनों में कहा जाता है कि आपकी स्किन का रंग एक हफ्ते में बदल जाएगा. ऐसा मैंने भी किया था तब मैं बहुत छोटी थी. ये तब की बात है जब मैं 20वें साल में थी. मैंने एक स्किन लाइटिंग क्रीम के लिए विज्ञापन किया था. मैंने बाद में जब उस विज्ञापन को देखा तो मुझे लगा कि ये मैने क्या कर दिया. इसके बाद मैं जैसी दिखती हूं खुद को उसी तरह प्यार करने लगी और मुझे लोगों को ये बताते हुए गर्व भी होता था. मुझे सच में अपना स्किन टोन अच्छा लगने लगा'.
पढ़ें: प्रियंका चोपड़ा ने Instagram पर लहराया दुपट्टा तो हो गया हंगामा
बहरहाल, हम तो यही कहेंगे कि सेलिब्रिटी होने के नाते प्रियंका चोपड़ा ने एक बढ़िया कदम उठाया है. उन्हें देखकर उन लोगों को भी प्रेरणा मिलेगी जो अपने स्किन कलर को लेकर परेशान रहते हैं. साथ ही उन सेलिब्रिटीज़ को भी मैसेज मिलेगा जो ब्रांड प्रमोशन के नाम पर पैसा तो कमाते हैं लेकिन लाखों फैन्स के साथ खिलवाड़ कर जाते हैं.
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बॉलीवुड अभिनेत्री प्रियंका चोपड़ा ने हाल ही में वोग को दिए एक इंटरव्यू में इस बात को स्वीकार किया है कि उन्हें फेयरनेस क्रीम का प्रचार करने का बहुत अफसोस है. भारत में अपनी ज़िदगी के बारे में बातचीत करते हुए प्रियंका ने बताया कि 15 साल की उम्र तक वो बहुत परेशान रहती थीं और अपनी त्वचा के रंग को लेकर सहज महसूस नहीं करती थीं. प्रियंका के इस कबूलनामे पर इंटरव्यू लेने वाली महिला हैरत में पड़ गई और उन्होंने दोबारा उनसे पूछा, 'आप अपनी स्किन को लेकर यहां (अमेरिका) कॉन्शियस थीं या भारत में?' दरअसल, महिला को यकीन नहीं कर पा रहा था कि जिस देश के ज़्यादातर लोगों सांवले हो वहां के लोग स्किन को लेकर अपने ही देश में कॉन्श्यिस कैसे हो सकते हैं. इस सवाल के जवाब में प्रियंका ने कहा, 'भारत में क्योंकि वहां गोरे रंग वालों को ही सुंदर माना जाता है'.
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अपनी बात को और अच्छी तरह समझाते हुए प्रियंका ने कहा कि उन्हें यहां डस्की कहा जाता है. जब उनसे पूछा गाय कि डस्की कहे जाने पर कैसा लगता है तो उन्होंने कहा, 'डस्की स्किन वाली ज़्यादातर लड़कियों को अकसर ये सुनने को मिलता है, अरे, बेचारी डस्की है. भाारत में स्किन लाइटिंग क्रीम का खूब प्रचार होता है. विज्ञापनों में कहा जाता है कि आपकी स्किन का रंग एक हफ्ते में बदल जाएगा. ऐसा मैंने भी किया था तब मैं बहुत छोटी थी. ये तब की बात है जब मैं 20वें साल में थी. मैंने एक स्किन लाइटिंग क्रीम के लिए विज्ञापन किया था. मैंने बाद में जब उस विज्ञापन को देखा तो मुझे लगा कि ये मैने क्या कर दिया. इसके बाद मैं जैसी दिखती हूं खुद को उसी तरह प्यार करने लगी और मुझे लोगों को ये बताते हुए गर्व भी होता था. मुझे सच में अपना स्किन टोन अच्छा लगने लगा'.
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बहरहाल, हम तो यही कहेंगे कि सेलिब्रिटी होने के नाते प्रियंका चोपड़ा ने एक बढ़िया कदम उठाया है. उन्हें देखकर उन लोगों को भी प्रेरणा मिलेगी जो अपने स्किन कलर को लेकर परेशान रहते हैं. साथ ही उन सेलिब्रिटीज़ को भी मैसेज मिलेगा जो ब्रांड प्रमोशन के नाम पर पैसा तो कमाते हैं लेकिन लाखों फैन्स के साथ खिलवाड़ कर जाते हैं.
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