बॉलीवुड हर उस एक्टर की राहों में फूल बिछाता है जिसमें टैलेंट हो. ऐसे ही एक लड़के से हम आपको रूबरू कराने जा रहे हैं जिसने बचपन में अमिताभ बच्चन और नाना पाटेकर की मिमिक्री करके एक्टर बनने का सपना देखा. . जी हां बात हो रही है ओटीटी के सुपरस्टार कहे जाने वाले आईआईटीयन जितेंद्र कुमार की. जितेंद्र कुमार अगर एक्टर ना होते तो आईआईटी करके सिविल इंजीनियर बन गए होते. लेकिन आईआईटी करते करते ही उनको एक्टिंग में मजा आने लगा और वो पढ़ाई के दौरान ही प्ले और शोज करने लगे. इस दौरान उनकी मुलाकात ऐसे शख्स से हुई जिसने उनको टीवीएफ का स्टार बना दिया और जितेंद्र कुमार जीतू भैया के रूप में डिजिटल की दुनिया में मशहूर हो गए.
IIT से OTT तक का सफर
राजस्थान में पले बढ़े जितेंद्र कुमार खड़गपुर आईआईटी में सिविल इंजीनियरिंग करने गए थे. यहां कॉलेज में ही प्ले, नुक्कड़ नाटक और शोज करते हुए उनकी मुलाकात विश्वपति सरकार से हुई जो द वायरल फीवर के एक्जीक्यूटिव क्रिएटिव डायरेक्टर थे. उनको जितेंद्र पसंद आए और विश्वपति ने जितेंद्र को टीवीएफ से जुड़ने का ऑफर दिया. जितेंद्र ने 2013 में टीवीएफ के शो मुन्ना जज्बाती - क्यू किया इंटर्न में ऐसी एक्टिंग की कि ये यूट्यूब पर हिट हो गया. इसे 30 लाख से ज्यादा व्यूज मिले. टीवीएफ के बैचलर्स, टीवीएफ पिचर्स, परमानेंट रूममेट के जरिए उनको सफलता मिली और उनकी राह आसान होती गई.
'पंचायत' के सचिव जी बन गए सबके फेवरेट
इसके बाद जितेंद्र कोटा फैक्ट्री में नजर आए और आते ही अपनी एक्टिंग के दम पर छा गए. इसमें वो आईआईटी कोचिंग टीचर बने थे. इसके बाद अमेजन प्राइम पर आई वेब सीरीज पंचायत में जितेंद्र कुमार पंचायत सचिव के रूप में नजर आए और लोगों के दिलों में घर कर गए. इस सीरीज में उनके साथ रघुबीर यादव औऱ नीना गुप्ता जैसे मंझे कलाकार थे लेकिन फुलेरा गांव पंचायत के सचिव जी के रोल में जितेंद्र ने लोगों को अपनी तारीफ करने के लिए मजबूर कर डाला. इस सीरीज का दूसरा पार्ट भी आया और वो भी हिट रहा.
अभी गुजारा करने के लिए पढ़ाया करते थे ट्यूशन
ओटीटी में अच्छी खासी पहचान बनाने के बाद जितेंद्र ने बॉलीवुड की तरफ रुख किया और 2020 में वो आयुष्मान खुराना के साथ शुभ मंगल ज्यादा सावधान में नजर आए. इस फिल्म में उन्होंने गे का किरदार किया था. इसके बाद चमन बहार में भी वो नजर आए और उनको काफी पसंद किया गया. 2020 में ही जितेंद्र को पंचायत के लिए फिल्मफेयर ओटीटी अवॉर्ड मिला. हालांकि देखा जाए तो मुंबई की राह जितेंद्र कुमार के लिए आसान नहीं थी. वो यहां किसी को नहीं जानते थे. अपना गुजारा करने के लिए वो यहां शनिवार -रविवार को बच्चों को फिजिक्स और केमेस्ट्री के ट्यूशन देते थे और सोमवार से शुक्रवार तक एक्टिंग के असाइनमेंट लेते थे. इस तरह उन्होंने यहां अपना मुकाम हासिल किया और आज उनको घर घर में पहचाना जाता है.
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