
पद्मिनी कोल्हापुरे
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1 नवंबर, 1965 को हुआ जन्म
बचपन में फिल्मों में गाने भी गाए
करियर के शुरू में की बोल्ड फिल्में

उन्होंने राज कपूर की फिल्म ‘सत्यम शिवम सुंदरम (1978)’ में जीनत अमान के बचपन का रोल निभाया था. फिल्म सुपरहिट रही थी, और पद्मिनी कोल्हापुरे का अंदाज दर्शकों के दिलों में उतर गया था. 15 साल की बाली उम्र में उन्होंने कुछ ऐसी फिल्में कर डालीं जो उनकी उम्र से कहीं आगे की चीज थीं, और बॉलीवुड के लिहाज से काफी बोल्ड. 1980 में आई उनकी फिल्म ‘गहराई’ में तो उन्होंने बोल्डनेस की हद तक कर दी और बहुत ही बेबाक सीन फिल्म में दिया.
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इसी साल उनकी फिल्म ‘इंसाफ का तराजू’ आई, जिसमें उनके साथ जीनत अमान और राज बब्बर थे. बी.आर. चोपड़ा की ‘इंसाफ का तराजू’ इंग्लिश फिल्म ‘लिपस्टिक (1976)’ का रीमेक थी. फिल्म में पद्मिनी कोल्हापुरे के रेप का लंबा सीन था, जिसे लेकर उस समय बहुत विवाद भी हुआ था. लेकिन विवादों के बावजूद फिल्म अपने गंभीर विषय की वजह से दर्शकों का दिल जीतने में कामयाब रही थी. फिल्म को देखने के लिए सिनेमाघरों पर लाइन लग गई थी क्योंकि फिल्म का विषय और ट्रीटमेंट दोनों ही बेहतरीन थे. फिर रेप सीन की वजह से फिल्म को लेकर काफी हाइप भी बन गई थी.

पद्मिनी कोल्हापुरे ने अपने करियर के शुरू में बोल्ड विषयों से कतई परहेज नहीं किया. तभी तो 17 साल की उम्र में उन्होंने राज कपूर की ‘प्रेम रोग (1982)’ में काम किया था. फिल्म में उनकी कम उम्र में शादी हो जाती है और वे विधवा हो जाती हैं. लेकिन उनके पति का बड़ा भाई उनका रेप कर देता है. फिल्म का विषय और राज कपूर के टच की वजह से उनकी ये फिल्म भी सुपरहिट रही थी.
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यही नहीं, 21 साल की उम्र में पद्मिनी कोल्हापुरे ने शेखर सुमन के साथ ‘अनुभव (1986)’ फिल्म की. इसमें वे शरीर से तो युवती होती हैं लेकिन उनकी हरकतें और आदतें बच्चों जैसी होती हैं. इस तरह वे अपने पति शेखर सुमन के साथ शारीरिक संबंधों की कसौटी पर खरी नहीं उतर पाती हैं और पति खीझकर दूसरी औरत के प्रति आकर्षित हो जाता है. फिल्म को काफी पसंद किया गया था.
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बेशक पद्मिनी कोल्हापुरे ने अपने करियर के शुरू में बोल्ड विषयों के साथ बॉलीवुड में कदम रखा लेकिन उन्होंने विषयों की गंभीरता और उसमें सहेजे को गए मैसेज को पकड़े रखा. इसी वजह से बोल्डनेस के बावजूद उनकी फिल्में हिट होती गईं और उनके रोल यादगार बनते गए.
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